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सोने-चांदी की कीमतों में गिरावट: क्या है इसके पीछे का कारण?

त्योहारों के मौसम में सोने और चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन अब ये तेजी से गिर रही हैं। पिछले तीन हफ्तों में सोने की कीमत में 8 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में नरमी के चलते निवेशकों की सुरक्षित संपत्ति की मांग में कमी आई है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले हफ्तों में और गिरावट संभव है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और भविष्य में क्या हो सकता है।
 

सोने-चांदी की कीमतों में आई गिरावट


नई दिल्ली: त्योहारों के मौसम में सोने और चांदी की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं, लेकिन अब ये तेजी से गिरने लगी हैं। पिछले तीन हफ्तों में घरेलू वायदा बाजार में सोने की कीमत में 8 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है। चांदी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है। दिवाली के समय ऐसा लग रहा था कि साल के अंत तक दोनों धातुएं नए उच्च स्तर पर पहुंच जाएंगी, लेकिन वैश्विक भू-राजनीतिक हालात ने बाजार की धारणा को पूरी तरह बदल दिया है।


वैश्विक परिस्थितियों का प्रभाव

सोना और चांदी को निवेशकों द्वारा सुरक्षित संपत्ति माना जाता है, लेकिन अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध में नरमी और व्यापार समझौते की बातचीत के चलते जोखिम कम महसूस किया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, सुरक्षित निवेश की मांग में कमी आई है और कीमतों में गिरावट आई है।


विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट यहीं नहीं रुकेगी, क्योंकि आने वाले हफ्तों में कई महत्वपूर्ण घटनाएं बाजार पर असर डाल सकती हैं। नवंबर के मध्य या अंत में भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते की चर्चा भी कीमती धातुओं पर दबाव बढ़ा सकती है। इसके अलावा, चीन और भारत के बीच शांतिपूर्ण संदेशों के बाद रूस के यूक्रेन युद्ध में समझौते की संभावना भी जताई जा रही है। इन सभी संकेतों से बाजार में जोखिम कम होने की धारणा बनेगी और सुरक्षित निवेश की मांग और घट सकती है।


अमेरिकी फेड की नीति पर नजर

अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व पहले ही संकेत दे चुका है कि दिसंबर की नीति बैठक में ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं। आमतौर पर ब्याज दरों के स्थिर रहने या बढ़ने पर सोने की कीमतों पर दबाव पड़ता है, क्योंकि बॉंड जैसे वैकल्पिक निवेश अधिक आकर्षक हो जाते हैं।


इसलिए, विश्लेषकों को उम्मीद है कि आने वाले सप्ताह में सोने में और गिरावट जारी रह सकती है। बढ़ती अमेरिकी महंगाई, व्यापार शुल्क की अनिश्चितता, और चीन के महत्वपूर्ण आर्थिक आंकड़ों से पहले निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं। बाजार में यह भी माना जा रहा है कि फेड अधिकारियों की किसी भी टिप्पणी का तुरंत प्रभाव सोने की दिशा तय कर सकता है।


कीमतों में गिरावट का आंकड़ा

17 अक्टूबर को सोने की कीमत अपने ऐतिहासिक उच्च स्तर 1,32,294 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गई थी। इसके बाद लगातार दबाव में आने के बाद 7 नवंबर को यह 1,21,067 रुपये पर बंद हुआ। इस प्रकार, कुल मिलाकर 11,227 रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। चांदी के भाव भी इसी अवधि में भारी गिरावट का सामना कर चुके हैं।