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स्वतंत्रता दिवस: लाल किले का ऐतिहासिक महत्व और पीएम मोदी का 12वां संबोधन

दिल्ली का लाल किला, जो भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक है, हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस वर्ष, पीएम नरेंद्र मोदी 12वीं बार यहां से देश को संबोधित करेंगे। जानें लाल किले का ऐतिहासिक महत्व, नेहरू का पहला संबोधन और 'Tryst with Destiny' का अर्थ। यह लेख आपको स्वतंत्रता दिवस के उत्सव और इसके पीछे की गहराई में ले जाएगा।
 

स्वतंत्रता दिवस का महत्व

स्वतंत्रता दिवस: दिल्ली, जो सदियों से भारत की राजनीतिक और सांस्कृतिक धरोहर का केंद्र रही है, मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा 17वीं शताब्दी में निर्मित लाल किले के लिए प्रसिद्ध है। यह किला उस समय की शक्ति का प्रतीक माना जाता था। 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी यह स्थल महत्वपूर्ण रहा। जब भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त की, तब पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने यहीं से तिरंगा फहराकर देश को संबोधित किया। तब से हर साल, प्रधानमंत्री इस ऐतिहासिक स्थल से देशवासियों को संबोधित करते हैं। आज, देश अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है और नरेंद्र मोदी 12वीं बार इस अवसर पर देश को संबोधित करेंगे।


लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस का उत्सव

लाल किला भारत की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है और यह स्वतंत्रता का सबसे बड़ा प्रतीक भी है। दिल्ली, जो कई शासकों के अधीन रही है, मुगल सम्राट शाहजहां ने 1648 में इसे अपनी राजधानी बनाया। 1857 में जब मुगलों ने ब्रिटिशों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया, तब लाल किले का महत्व और भी बढ़ गया।


ब्रिटिशों का नियंत्रण

1857 की क्रांति के बाद, ब्रिटिशों ने लाल किले को एक सैन्य कैंप में बदल दिया। बहादुर शाह जफर की गिरफ्तारी के बाद, अंग्रेजों ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया। यह किला भारतीयों के लिए दमन और गुलामी का प्रतीक बन गया। 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब नेहरू ने यहीं से तिरंगा फहराया, जिससे यह संदेश गया कि भारत अब अपनी सत्ता का स्वामी है।


नेहरू का पहला संबोधन

भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता के दिन पहले दिल्ली के प्रिंसेस पार्क में तिरंगा फहराया, लेकिन 16 अगस्त को उन्होंने लाल किले से देश को संबोधित किया। उनका पहला भाषण 'Tryst with Destiny' था, जो 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को संविधान सभा में दिया गया था। 16 अगस्त को उन्होंने कहा कि वे देश के पहले सेवक हैं।


Tryst with Destiny का अर्थ

'Tryst with Destiny' का अर्थ है नियति से किया गया वादा। इस भाषण का महत्व केवल स्वतंत्रता की घोषणा करना नहीं था, बल्कि यह भारत के नेताओं के दृष्टिकोण, आशाओं और कर्तव्यों का भी घोषणापत्र था। यह संदेश दिया गया कि भारतीय जनता को एकजुट होकर नए भारत के निर्माण में योगदान देना होगा।


पीएम मोदी का 12वां संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो भारत के 14वें प्रधानमंत्री हैं, आज 15 अगस्त को लाल किले से 12वीं बार देश को संबोधित करेंगे। इस बार का स्वतंत्रता दिवस विशेष है क्योंकि इस वर्ष लाल किले पर ऑपरेशन सिंदूर की झलक दिखाई देगी और 5000 मुख्य अतिथि भी उपस्थित रहेंगे।