स्वामी द्योतराम महाराज की पुण्यतिथि पर पांडु पिंडारा तीर्थ में भव्य कार्यक्रम
संतों का योगदान समाज के उत्थान में
- संतों का जीवन सनातन धर्म को आगे बढ़ाने व समाज परोपकार के लिए : मंत्री कृष्ण कुमार बेदी
(जींद) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने कहा कि संत महात्माओं ने समाज को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन देने के साथ-साथ सामाजिक सुधार, शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने हमेशा लोगों को धर्म और आध्यात्मिकता का सही मार्ग दिखाया है। संतों का जीवन सनातन धर्म को आगे बढ़ाने और समाज के कल्याण के लिए समर्पित रहा है।
मंत्री कृष्ण कुमार बेदी ने स्वामी द्योतराम महाराज की 82वीं पुण्यतिथि पर पांडु पिंडारा तीर्थ के सत्संग भवन में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने सत्संग भवन के जीर्णोद्धार के लिए लगभग साढ़े पांच लाख रुपये की राशि देने की घोषणा की। कार्यक्रम में बीजेपी के जिला प्रधान तिजेंद्र ढुल, सुरेश दनौदा, विनोद सैनी समेत कई साध संगत उपस्थित थे।
संत महात्माओं का समाज पर प्रभाव
मंत्री कृष्ण बेदी ने कहा कि भक्ति काल में गुरु रविदास, गुरु नानक देव, गुरु कबीर दास जैसे संतों ने मानवता के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यदि संत महात्मा नहीं होते, तो समाज की स्थिति कुछ और होती। संत महात्माओं ने समाज को कुरीतियों से दूर रहने का संदेश दिया है। हमें भी संगठित होकर उनके दिखाए मार्ग पर चलना चाहिए।
संत महात्माओं के मार्गदर्शन से समाज में जो परिवर्तन और सुधार हुआ है, वह आज मानव जाति के आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन को समृद्ध कर रहा है। उन्होंने सभी समुदायों के लोगों को एक साथ लाने का प्रयास किया। संतों के उपदेशों ने भारत को एकसूत्र में बांधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
दान का महत्व
आज के दिन हम अपने गुरुओं को नमन करते हैं और यह प्रण लेते हैं कि उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव हित के लिए कार्य करते रहेंगे। कार्यक्रम के अध्यक्ष अखिल भारतीय घीसा संत महामंडल के अध्यक्ष स्वामी राघवानंद ने कहा कि श्रद्धा से दिया गया दान व्यक्ति को पुण्य का भागीदार बनाता है।
स्वामी राघवानंद ने सनातन धर्म के अंतर्गत वर्णाश्रमों का वर्णन करते हुए गृहस्थ धर्म को सर्वोपरि बताया। उन्होंने कहा कि पांडू पिंडारा की धरती धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की 48 कोस की परिधि में आती है। यहां सोमवती अमावस्या को मेले का आयोजन होता है।