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स्विट्जरलैंड का ऐतिहासिक कदम: 74 देशों के साथ क्रिप्टोकरेंसी सूचना आदान-प्रदान

स्विट्जरलैंड ने भारत समेत 74 देशों के साथ क्रिप्टोकरेंसी संपत्तियों की जानकारी के स्वचालित आदान-प्रदान का प्रस्ताव रखा है। यह कदम काले धन और वित्तीय अनियमितताओं पर नियंत्रण पाने में मदद कर सकता है। स्विट्जरलैंड का यह नया प्रस्ताव डिजिटल युग में वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण है। जानें इस पहल के पीछे के कारण और भारत में क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति के बारे में।
 

स्विट्जरलैंड का नया प्रस्ताव

स्विट्जरलैंड सरकार: स्विट्जरलैंड ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए भारत समेत 74 देशों के साथ क्रिप्टोकरेंसी संपत्तियों की जानकारी के स्वचालित आदान-प्रदान (AEOI) का प्रस्ताव रखा है। इस पहल का उद्देश्य विदेशों में भारतीयों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में किए गए निवेश की निगरानी करना है। यह कदम काले धन और वित्तीय अनियमितताओं पर नियंत्रण पाने में सहायक हो सकता है। 


भारत और स्विट्जरलैंड के बीच वित्तीय सहयोग

भारत और स्विट्जरलैंड के बीच पहले से ही बैंक खातों और अन्य वित्तीय संपत्तियों की जानकारी का स्वचालित आदान-प्रदान होता रहा है। दोनों देश हर वर्ष इस जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं, जिससे भारतीय अधिकारियों को विदेशों में जमा अघोषित धन का पता लगाने में मदद मिलती है। स्विट्जरलैंड का यह नया प्रस्ताव क्रिप्टोकरेंसी पर केंद्रित है, जो डिजिटल युग में वित्तीय पारदर्शिता को और बढ़ावा देगा। स्विस सरकार ने कहा, “संघीय परिषद ने शुक्रवार को क्रिप्टो संपत्तियों से संबंधित सूचनाओं के स्वचालित आदान-प्रदान के लिए 74 साझेदार देशों की सूची को मंजूरी दी है।” 


भारत में क्रिप्टोकरेंसी का स्थिति

क्रिप्टोकरेंसी पर भारत का रुख: भारत में अभी तक क्रिप्टोकरेंसी के लिए कोई स्पष्ट नियामक ढांचा नहीं है, लेकिन इन्हें धन शोधन विरोधी (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) कानूनों के तहत नियंत्रित किया जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बार-बार चेतावनी दी है कि क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती है। हालांकि, कई अन्य देशों में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी निविदा के रूप में मान्यता दी गई है। अनुमान है कि बड़ी संख्या में भारतीयों ने क्रिप्टो संपत्तियों में अघोषित धन का निवेश किया है। 


वैश्विक सहयोग और OECD मानक

वैश्विक सहयोग: स्विट्जरलैंड के इस प्रस्ताव में भारत के अलावा सभी यूरोपीय संघ के सदस्य देश, ब्रिटेन और अधिकांश G20 देश (अमेरिका और सऊदी अरब को छोड़कर) शामिल हैं। यह व्यवस्था 1 जनवरी, 2026 से लागू होने की उम्मीद है, और पहला डेटा आदान-प्रदान 2027 में होगा। हालांकि, यह आदान-प्रदान केवल उन देशों के साथ होगा जो स्विट्जरलैंड के साथ सूचना साझा करने में रुचि दिखाएंगे और आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा विकसित क्रिप्टो-एसेट रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क की शर्तों को पूरा करेंगे। स्विस सरकार ने कहा, “वित्तीय खाता जानकारी पर AEOI के लिए मौजूदा समीक्षा तंत्र को भविष्य में क्रिप्टो संपत्तियों से संबंधित AEOI को भी कवर करना चाहिए, जिसके लिए संबंधित संघीय डिक्री को संशोधित करना होगा।”