हनुमान जी की लंका यात्रा: एक अद्भुत दृश्य का वर्णन
हनुमान जी की लंका यात्रा का वर्णन करते हुए, यह लेख उनकी अद्भुत नगरी की सुंदरता और प्रकृति के प्रभाव को उजागर करता है। रामचरितमानस में वर्णित चौपाई से यह स्पष्ट होता है कि कैसे एक सुंदर वातावरण मन को शांति और खुशी प्रदान करता है। जानिए इस लेख में हनुमान जी की लंका में पहली झलक और वहाँ की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता के बारे में।
Aug 26, 2025, 10:13 IST
हनुमान जी की लंका में पहली झलक
जब पवनपुत्र हनुमान जी माँ सीता की खोज में लंका पहुँचे, तो उन्होंने वहाँ की अद्भुत सुंदरता को देखकर आश्चर्यचकित हो गए। रामचरितमानस के सुंदरकांड में इस दृश्य का मनमोहक वर्णन मिलता है। एक चौपाई में कहा गया है, "नाना तरु फल फूल सुहाये, खग मृग बृंद देखि मन भाए।" इसका अर्थ है कि लंका में विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे थे, जो रंग-बिरंगे फल-फूलों से लदे हुए थे। इन पेड़-पौधों की सुंदरता ने वहाँ के पक्षियों और जानवरों को भी आनंदित कर दिया।यह दृश्य हनुमान जी को भी बहुत भाया। यह चौपाई हमें यह सिखाती है कि जब हम किसी ऐसी जगह होते हैं जहाँ सब कुछ सुंदर और व्यवस्थित होता है, तो हमारा मन भी शांत और खुश रहता है। यहाँ तक कि जो जीव-जंतु भी उस वातावरण को देखते हैं, वे भी प्रसन्न हो जाते हैं। यह दर्शाता है कि प्रकृति में कितनी शांति और सुकून छिपा है, और यह हमारे मन को कैसे प्रभावित करती है। यह चौपाई केवल एक वर्णन नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक भी है कि जहाँ प्रभु की कृपा होती है, वहाँ सब कुछ मंगलमय और आनंददायक होता है। जब हम प्रभु का नाम लेकर कोई कार्य आरंभ करते हैं, तो वह कठिनाई भी सरल लगने लगती है और जीवन में सुख-शांति का अनुभव होता है।