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हरजीत कौर का दर्दनाक अनुभव: अमेरिका से निर्वासित होकर भारत लौटने वाली सिख महिला की कहानी

73 वर्षीय हरजीत कौर, जो अमेरिका में तीन दशकों से अधिक समय बिता चुकी हैं, हाल ही में निर्वासित होकर भारत लौटीं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के हिरासत में लिया गया और उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। कौर ने अपने परिवार से बिछड़ने का दुख व्यक्त किया और अमेरिका लौटने की इच्छा जाहिर की। उनके मामले ने स्थानीय समुदाय में विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया, जिसमें लोगों ने उनकी रिहाई की मांग की। जानें इस दर्दनाक कहानी के सभी पहलुओं के बारे में।
 

हरजीत कौर का निर्वासन मामला

हरजीत कौर का मामला: 73 वर्षीय सिख महिला हरजीत कौर, जिन्होंने अमेरिका में तीन दशकों से अधिक समय बिताया, हाल ही में निर्वासित होकर भारत लौट आईं। मोहाली में अपनी बहन के घर पर मीडिया से बातचीत करते हुए, कौर ने अपने कठिन अनुभव साझा किए और कहा कि उन्होंने जो सहा है, वह किसी और को न सहना पड़े। उन्होंने अमेरिका में अपने परिवार से फिर से मिलने की गहरी इच्छा भी व्यक्त की।


परिवार से बिछड़ने का दुख

हरजीत कौर 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका आई थीं और तब से वहीं रह रही थीं। उन्होंने शरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन यह 2012 में खारिज हो गया। इसके बावजूद, वह हर छह महीने में सैन फ्रांसिस्को स्थित आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) कार्यालय में हाजिरी देती रहीं। लेकिन 8 सितंबर को जब वह नियमित जांच के लिए ICE दफ्तर गईं, तो उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के हिरासत में ले लिया गया और बाद में भारत भेज दिया गया।


हिरासत में अनुभव

खाने को परोसा गोमांस
हरजीत कौर ने बताया कि हिरासत में उनके साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया। उन्हें पूरी रात एक ठंडे कमरे में रखा गया, जहाँ वह ठीक से लेट भी नहीं सकीं। दोनों घुटनों की सर्जरी के कारण उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता थी, लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें गोमांस परोसा गया, जिसे वह धार्मिक कारणों से नहीं खा सकतीं। उन्होंने कहा, “मैं शाकाहारी हूं, पर मुझे ऐसा खाना दिया गया जो मेरे लिए अस्वीकार्य था।”


निर्वासन की प्रक्रिया

132 लोगों के साथ किया गया निर्वासित
हरजीत कौर ने बताया कि उन्हें 132 अन्य लोगों के साथ निर्वासित किया गया, जिनमें से 15 कोलंबियाई नागरिक थे। हालांकि विमान में उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई गई, लेकिन सैन फ्रांसिस्को से बेकर्सफील्ड ले जाते समय उन्हें हथकड़ी और बेड़ियों में बांधा गया। उन्होंने कहा कि निर्वासन के समय उन्हें अपने परिवार को अलविदा कहने तक का मौका नहीं दिया गया, जो उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत कष्टकारी था।


ट्रंप प्रशासन की नीतियों का प्रभाव

ट्रंप प्रशासन को ठहराया दोषी
हरजीत कौर का पूरा परिवार—बच्चे, पोते-पोतियाँ—अमेरिका में ही बसे हैं। उन्होंने भावुक होकर कहा कि जब वह अपने बच्चों की आवाज सुनती हैं, तो कुछ बोल नहीं पातीं। उन्होंने कहा, “मैंने उन्हें पाला है, उनका ध्यान रखा है। आज मैं उनसे दूर हूं।” उन्होंने हाल के वर्षों में बड़ी संख्या में भारतीयों के निर्वासन के लिए डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि 1992 से अमेरिका में रहने के बावजूद उन्होंने पहले कभी इतनी सख्ती नहीं देखी थी।


समुदाय का समर्थन

समुदाय का समर्थन और विरोध प्रदर्शन
हरजीत कौर की गिरफ्तारी के बाद कैलिफोर्निया में उनके समर्थन में कई विरोध प्रदर्शन हुए। स्थानीय समुदाय के लोगों ने तख्तियों के साथ सड़कों पर उतरकर "हमारी दादी को हाथ मत लगाओ" और "दादी को घर लाओ" जैसे संदेश दिए। लोगों ने उनकी रिहाई की मांग करते हुए ICE की कार्रवाई को अमानवीय बताया।


अमेरिका लौटने की इच्छा

अमेरिका लौटने की इच्छा
जब हरजीत कौर से पूछा गया कि क्या वह अमेरिका वापस जाना चाहेंगी, तो उन्होंने बिना झिझक कहा, “ज़रूर। मेरा पूरा परिवार वहीं है।” उन्होंने यह भी बताया कि उनके पास अमेरिका में वर्क परमिट, पहचान पत्र और ड्राइविंग लाइसेंस था, लेकिन फिर भी उन्हें निर्वासित कर दिया गया। उन्होंने इस फैसले पर गहरा दुख जताया।