हरित कौशल के लिए शिक्षा: भविष्य की दिशा
सस्टेनेबिलिटी शिक्षा सम्मेलन का सार
नई दिल्ली में आयोजित सातवें अंतर्राष्ट्रीय सस्टेनेबिलिटी शिक्षा सम्मेलन (ICSE) का मुख्य संदेश था कि भविष्य उन लोगों का है जिनके पास 'हरा' कौशल है। मोबियस फाउंडेशन द्वारा यूनेस्को और नीति आयोग के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय सम्मेलन में शिक्षाविदों, नीति-निर्माताओं, उद्योगपतियों और युवा प्रतिनिधियों ने एकजुट होकर कहा कि भारत को 2070 तक 'नेट जीरो' लक्ष्य प्राप्त करने और युवाओं को रोजगार देने के लिए शिक्षा प्रणाली में 'ग्रीन स्किल्स' को तुरंत शामिल करना आवश्यक है।सम्मेलन का मुख्य विषय 'हरित नौकरियों के लिए सस्टेनेबिलिटी शिक्षा' था। विशेषज्ञों ने बताया कि रिन्यूएबल एनर्जी, टिकाऊ कृषि, इको-टूरिज्म, जैव विविधता संरक्षण और सर्कुलर इकोनॉमी जैसे क्षेत्रों में लाखों नई नौकरियों का सृजन हो रहा है। इन नौकरियों के लिए पारंपरिक डिग्री के साथ-साथ विशेष 'ग्रीन स्किल्स' की आवश्यकता होगी, जिसमें समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग की 'ब्लू इकोनॉमी' भी शामिल है।
सम्मेलन में यह भी बताया गया कि अब पारंपरिक क्लासरूम की पढ़ाई से काम नहीं चलेगा। छात्रों को किताबी ज्ञान के बजाय प्रैक्टिकल और समस्या-समाधान पर आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए। शिक्षा को भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ पूरी तरह से जोड़ना होगा।
डॉ. बेन्नो बोअर, यूनेस्को दक्षिण-एशिया के प्रमुख ने कहा कि एक न्यायपूर्ण और लचीली दुनिया का रास्ता हरित नौकरियों से होकर जाता है। इसके लिए सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर ऐसे कार्यक्रम बनाने होंगे जो रोजगार के नए रास्ते खोलें। नीति आयोग के निदेशक अमित वर्मा ने कहा कि ग्रीन इकोनॉमी के लिए वर्कफोर्स तैयार करने हेतु इनोवेशन और शिक्षा के बीच की खाई को पाटना होगा। सम्मेलन का समापन राष्ट्रीय पाठ्यक्रम में ग्रीन स्किल्स को एकीकृत करने, व्यावसायिक प्रशिक्षण को मजबूत करने और उद्यमिता को बढ़ावा देने जैसी ठोस सिफारिशों के साथ हुआ।