हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर: 2027 तक एनसीआर का चेहरा बदलेगा
हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर का महत्व
हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर: 2027 तक एनसीआर का चेहरा बदलेगा: हरियाणा में यातायात और वाणिज्य को नई गति देने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से कार्य चल रहा है। हरियाणा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर, जो दिसंबर 2027 तक पूरा होने की योजना है, न केवल सोनीपत बल्कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाएगा।
इस 130 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग से दिल्ली के चारों ओर एक औद्योगिक रेल रिंग बनेगा, जो कई जिलों को जोड़ते हुए व्यापार, यात्रा और आर्थिक विकास के नए अवसर प्रदान करेगा। चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी ने इस परियोजना के समय पर पूरा होने का आश्वासन दिया है, जिससे एनसीआर में यातायात की भीड़ कम होगी और कनेक्टिविटी में सुधार होगा।
यह रेल कॉरिडोर पलवल से शुरू होकर सोहना, मानेसर, बहादुरगढ़ और खरखौदा होते हुए सोनीपत तक जाएगा। खरखौदा और इसके आस-पास के 20 गांवों, जैसे किड़ौली, पाई, पहलादपुर, बरोणा, गोपालपुर, और हरसाना कलां, से होकर गुजरने वाला यह मार्ग स्थानीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।
इन गांवों में भूमि अधिग्रहण का कार्य पूरा हो चुका है, और मानेसर से पाटली तक प्राथमिक खंड में निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस कॉरिडोर की विशेषता यह है कि यह डबल रेल लाइन होगी, जिस पर यात्री ट्रेनों के साथ-साथ मालगाड़ियां भी चलेंगी। इसके लिए 153 अंडरपास और दो रेलवे फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा, ताकि सड़क और रेल यातायात में समन्वय बना रहे।
हरसाना कलां में एक बड़ा रेलवे जंक्शन स्थापित किया जाएगा, जो इस कॉरिडोर को दिल्ली-पानीपत मेन लाइन से जोड़ेगा। इसके अलावा, पिपली और तुर्कपुर में नए रेलवे स्टेशन भी बनाए जाएंगे, जो स्थानीय यात्रियों के लिए सुविधाजनक होंगे। इस परियोजना की लागत लगभग 5,618 करोड़ रुपये है, और इसे 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति वाली ट्रेनों के लिए डिज़ाइन किया गया है।
यह कॉरिडोर सालाना 60 लाख टन माल ढुलाई और 40 लाख यात्रियों की आवाजाही को संभालने में सक्षम होगा। गुरुग्राम को दिल्ली के बाहर से चंडीगढ़ तक जोड़ने वाला यह मार्ग व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगा। यह परियोजना हरियाणा के विकास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और अवसर प्रदान करेगी।