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हरियाणा के आईपीएस वाई पूरन कुमार के शव का पोस्टमार्टम आज संभव

हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के शव का पोस्टमार्टम आज संभव है, क्योंकि उनकी पत्नी ने सहमति दी है। यह निर्णय होम सेक्रेटरी की मुलाकात के बाद लिया गया। वाई पूरन कुमार ने आत्महत्या से पहले एक सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने कई अधिकारियों पर आरोप लगाए थे। विपक्ष ने इस मामले को लेकर प्रदर्शन का ऐलान किया है। जानें इस मामले में सरकार की स्थिति और आगे की कार्रवाई के बारे में।
 

पोस्टमार्टम के लिए पत्नी ने दी सहमति


चंडीगढ़: हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के शव का पोस्टमार्टम आज किया जा सकता है। उनकी पत्नी, आईएएस अमनीत पी. कुमार, ने इस प्रक्रिया के लिए सहमति दे दी है। यह निर्णय शुक्रवार रात को होम सेक्रेटरी डॉ. सुमिता मिश्रा की मुलाकात के बाद लिया गया।


यह ध्यान देने योग्य है कि वाई पूरन कुमार ने पांच दिन पहले आत्महत्या कर ली थी और उन्होंने एक आठ पन्नों का सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें उन्होंने कई उच्च अधिकारियों पर उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इस मामले को लेकर विपक्ष ने भी आवाज उठाई है, और कांग्रेस के एससी सेल ने प्रदर्शन करने का ऐलान किया है।


सरकार ने अभी तक नहीं लिया कोई निर्णय

दिवंगत आईपीएस की पत्नी अमनीत पी. कुमार ने तीन मांगें रखी हैं: पहली, एफआईआर को सही किया जाए; दूसरी, डीजीपी और एसपी को हटाया जाए; और तीसरी, उन्हें तुरंत गिरफ्तार किया जाए। हालांकि, हरियाणा सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया है।


इस बीच, प्रदेश सरकार ने दो आईपीएस अधिकारियों आलोक मित्तल और अरशिंद्र चावला को प्रमोट कर दिया है। इसके बाद चर्चा है कि आलोक मित्तल को कार्यवाहक डीजीपी बनाया जा सकता है, लेकिन इस पर अभी कोई आधिकारिक निर्णय नहीं हुआ है।


कई अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज

इस मामले में हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी अनुराग रस्तोगी, डीजीपी शत्रुजीत कपूर, और रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारणिया सहित 15 अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता की धारा 108, 3(5) और एससी/एसटी एक्ट की धारा 3(1)(आर) के तहत की गई है।


कुमारी सैलजा का परिवार से मिलने का कार्यक्रम

पूर्व केंद्रीय मंत्री और सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा आज हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के परिवार से मिलने चंडीगढ़ जाएंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार को इस आत्महत्या मामले में जवाब देना होगा कि ऐसा क्यों हुआ और क्यों उनकी चेतावनियों को नजरअंदाज किया गया।