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हरियाणा के नागरिक अस्पतालों में सुधार, मिलेगी निजी अस्पतालों जैसी सुविधाएं

हरियाणा सरकार ने राज्य के नागरिक अस्पतालों को निजी अस्पतालों जैसी सुविधाओं से लैस करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में हुई बैठक में 8 अस्पतालों में सुधार कार्य शुरू किया गया है। इसके अलावा, 13 अन्य जिला अस्पतालों में भी जल्द ही कार्य शुरू होगा। मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और दवाएं उपलब्ध कराने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। जानें इस योजना के बारे में और क्या-क्या बदलाव होंगे।
 

हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला

हरियाणा सरकार ने राज्य के नागरिक अस्पतालों को आधुनिक और निजी अस्पतालों के समान सुविधाओं से लैस करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक में इस दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।


बैठक में जानकारी दी गई कि पंचकूला, जींद, गुरुग्राम, कैथल, मांडीखेड़ा (नूंह), रेवाड़ी, सिरसा और कुरुक्षेत्र जैसे 8 नागरिक अस्पतालों में मरम्मत और बुनियादी ढांचे के नवीनीकरण का कार्य प्रारंभ हो चुका है।


इसके अलावा, अंबाला, भिवानी, पलवल, करनाल, पानीपत, सोनीपत, झज्जर, नारनौल, फतेहाबाद, फरीदाबाद, रोहतक, हिसार और चरखी दादरी सहित 13 अन्य जिला अस्पतालों में यह कार्य जल्द ही शुरू किया जाएगा।


मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि अस्पतालों में आने वाले सभी मरीजों को आवश्यक उपचार सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड, और ब्लड बैंक जैसी सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही स्वचालित प्रयोगशालाएं और बेहतर निजी कक्ष भी बनाए जाएंगे। सभी उपकरणों को चालू और अच्छी स्थिति में रखना अनिवार्य होगा।


स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने के लिए मुख्यमंत्री ने 450 रिक्त डॉक्टर पदों पर शीघ्र भर्ती करने के निर्देश दिए। इसके अतिरिक्त, उन्होंने जन औषधि केंद्रों को 24 घंटे संचालित करने की योजना भी बनाई। वर्तमान में ये केंद्र अस्पताल के कर्मचारियों द्वारा सीमित समय में चलाए जा रहे हैं।


भविष्य में सहकारी समितियों के माध्यम से इनका संचालन करने की योजना है। जन औषधि केंद्रों के माध्यम से मरीजों को बाजार मूल्य से कम कीमतों पर दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।


बैठक में बताया गया कि दिसंबर 2023 में अनुबंध सूची में 272 प्रकार की दवाएं थीं, जो अब बढ़कर 534 हो गई हैं। इसका मतलब है कि मरीजों को पहले से अधिक विकल्प और उपलब्धता मिलेगी।