हरियाणा के लिए अलग राजधानी की मांग: हाई कोर्ट की आवश्यकता पर जोर
हरियाणा में अलग राजधानी की मांग का उबाल
हरियाणा में अलग राजधानी की मांग: चंडीगढ़ से मुक्ति की चाह! हरियाणा में एक महत्वपूर्ण मुद्दा तेजी से उठ रहा है। राज्य के लिए एक अलग राजधानी और हाई कोर्ट की आवश्यकता अब जोर पकड़ रही है। रिटायर्ड IAS अधिकारियों, वकीलों और समाज के जागरूक नागरिकों ने इस मुहिम को समर्थन देकर इसे और मजबूती दी है।
रोजगार और सुविधाओं का आश्वासन
समर्थन देने वाले रिटायर्ड IAS अधिकारी, वकील, कलाकार और अन्य प्रबुद्ध लोग मानते हैं कि हरियाणा की नई राजधानी के निर्माण से विकास को एक नया आयाम मिलेगा।
नई राजधानी न केवल रोजगार के नए अवसरों का सृजन करेगी, बल्कि चंडीगढ़ की 300-350 किलोमीटर की दूरी को भी समाप्त कर देगी। चंडीगढ़ में हरियाणा के निवासियों को सरकारी कार्यों और न्यायालयों में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। एक नई राजधानी और हाई कोर्ट इस समस्या का समाधान कर सकते हैं।
वकीलों की बड़ी मांग
इस अभियान से जुड़े SC चौधरी ने बताया कि एक सर्वेक्षण में अधिकांश लोगों ने सुझाव दिया है कि नई राजधानी सभी जिलों से 100-125 किलोमीटर की दूरी पर होनी चाहिए। वकील हरियाणा और पंजाब के लिए अलग-अलग बार की स्थापना की भी मांग कर रहे हैं। वर्तमान में हरियाणा में 14 लाख 25 हजार से अधिक मामले जिला और अधीनस्थ अदालतों में लंबित हैं, जबकि हाई कोर्ट में 4,500 से ज्यादा केस अटके हुए हैं। अलग हाई कोर्ट के गठन से इन मामलों का निपटारा तेजी से हो सकेगा।
चंडीगढ़ में भेदभाव की समस्या
रिटायर्ड IAS अधिकारी MS चोपड़ा और रणधीर सिंह बधरान ने बताया कि दक्षिण हरियाणा के निवासियों को चंडीगढ़ में सचिवालय या न्यायालय से संबंधित कार्यों के लिए भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
चंडीगढ़ में हरियाणा के अधिकारियों और आम नागरिकों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति का समाधान करने के लिए अलग राजधानी और हाई कोर्ट की मांग को तुरंत पूरा करने की आवश्यकता है। यह अभियान हरियाणा के निवासियों के लिए एक बड़ी राहत ला सकता है।