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हरियाणा पुलिस अधिकारी की आत्महत्या: राहुल गांधी का परिवार से समर्थन

हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले में उनके परिवार ने न्याय की मांग की है। राहुल गांधी ने परिवार से मुलाकात की और हरियाणा सरकार से कार्रवाई की अपील की। उन्होंने दलितों पर हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया, यह कहते हुए कि यह केवल एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि पूरे दलित समुदाय के लिए एक गंभीर संदेश है। जानें इस मामले में और क्या हो रहा है।
 

आईपीएस वाई पूरन कुमार की आत्महत्या का मामला

चंडीगढ़। हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी आईपीएस वाई पूरन कुमार का शव आठ दिन बाद भी पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं भेजा गया है। उनकी पत्नी, आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार, और परिवार ने मांग की है कि छुट्टी पर भेजे गए राज्य के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर और रोहतक के पूर्व एसपी को गिरफ्तार किया जाए। इस बीच, पूरन कुमार की आत्महत्या के आठवें दिन, कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनके परिवार से मिलने चंडीगढ़ पहुंचे।


मंगलवार शाम को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक की। सूत्रों के अनुसार, डीजीपी को छुट्टी पर भेजने और रोहतक के एसपी को हटाने के बाद सरकार अब पूरन कुमार के परिवार से बातचीत करने के मूड में नहीं है। बैठक में स्पष्ट किया गया कि पोस्टमॉर्टम के बाद ही परिवार से कोई संवाद किया जाएगा।


मंगलवार की सुबह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पूरन कुमार के परिवार से मुलाकात की। उन्होंने हरियाणा सरकार से अपील की कि वह तमाशा बंद करे और परिवार पर दबाव डालना बंद करे। राहुल ने कहा कि सरकार को अधिकारियों को गिरफ्तार करना चाहिए और दिवंगत आईपीएस का अपमान नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी कार्रवाई की मांग की। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान भी आईपीएस पूरन कुमार को श्रद्धांजलि देने पहुंचे और कहा कि परिवार की सभी मांगें पूरी की जाएंगी।


राहुल गांधी ने पूरन कुमार के परिवार से मिलने के बाद दलितों पर अत्याचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, 'आईपीएस की दो बेटियां हैं। उन्होंने अपने पिता को खोया है और उन पर बहुत दबाव और तनाव है। यह स्पष्ट है कि वर्षों से व्यवस्थित रूप से भेदभाव हो रहा है।' राहुल ने आगे कहा, 'इस अधिकारी को कमजोर करने के लिए, उसके करियर और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए अन्य अधिकारी संगठित तरीके से काम कर रहे थे। यह केवल एक परिवार का मामला नहीं है, बल्कि देश में करोड़ों दलित भाई-बहनों के लिए एक संदेश है कि चाहे आप कितने भी सफल हों, अगर आप दलित हैं, तो आपको दबाया जा सकता है। यह अस्वीकार्य है।'