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हरियाणा भूमि बिक्री नीति: आंशिक भूमि बिक्री की नई सुविधा

हरियाणा सरकार ने भूमि मालिकों को राहत देते हुए आंशिक भूमि बिक्री की नई नीति को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत, मालिक अब अपनी सम्पूर्ण भूमि बेचने के बजाय केवल आवश्यक हिस्से को बेच सकेंगे, जिससे विकास परियोजनाओं में तेजी आएगी। इसके साथ ही, बिचौलियों को भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिससे प्रक्रिया में तेजी आएगी। हरियाणा सेवा आयोग को भी नई शक्तियां दी गई हैं, जिससे समय पर न्याय सुनिश्चित किया जा सके। जानें इस नीति के सभी लाभ और विशेषताएं।
 

हरियाणा भूमि बिक्री नीति: आंशिक भूमि बिक्री की नई सुविधा

हरियाणा भूमि बिक्री नीति: आंशिक भूमि बिक्री की नई सुविधा हरियाणा सरकार ने भूमि मालिकों को एक महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। अब, वे अपनी भूमि का केवल एक हिस्सा विकास परियोजनाओं के लिए बेच सकेंगे, जो पहले संभव नहीं था। इससे कई विकास कार्यों में रुकावटें दूर होंगी।


हरियाणा मंत्रिमंडल ने 2025 की इस नई नीति को मंजूरी दे दी है। यह कदम न केवल भूमि मालिकों को आर्थिक लाभ प्रदान करेगा, बल्कि विकास कार्यों को भी तेज करेगा। आइए, इस नीति की विशेषताओं और इसके लाभों पर नजर डालते हैं।


आंशिक बिक्री की नई सुविधा


नई नीति के तहत, भूमि मालिक अब अपनी सम्पूर्ण भूमि बेचने की बाध्यता से मुक्त हो गए हैं। पहले, उन्हें अपनी सम्पूर्ण भूमि को कम मूल्य पर बेचना पड़ता था। अब, वे केवल आवश्यक हिस्से को ही बेच सकते हैं। यह नीति सरकारी विभागों, बोर्डों, निगमों और कंपनियों पर लागू होगी, जिससे मालिकों को उचित खरीदार और बेहतर मूल्य प्राप्त होगा। इसका उद्देश्य मालिकों को आर्थिक नुकसान से बचाना है।


बिचौलियों को प्रोत्साहन राशि


इस नीति में बिचौलियों को भी शामिल किया गया है। उन्हें लेन-देन की कुल लागत का 1% सुविधा शुल्क मिलेगा, जो दो किश्तों में दिया जाएगा। पहली किश्त रजिस्ट्री के समय और दूसरी किश्त म्यूटेशन या कब्जे के बाद मिलेगी।


यदि बिचौलिए परियोजना के लिए 70% भूमि अपलोड करते हैं, तो उन्हें प्रति एकड़ 1000 से 3000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। यह प्रावधान बिचौलियों को सक्रिय करने और प्रक्रिया को तेज करने में मदद करेगा।


हरियाणा सेवा आयोग की नई शक्तियां


हरियाणा सेवा आयोग को इस नीति के तहत नई जिम्मेदारियां दी गई हैं। अब आयोग उन मामलों में स्वतः संज्ञान ले सकेगा, जहां विभाग समय पर आवेदन या अपील का निपटारा नहीं करते। देरी होने पर आयोग सीधे आदेश पारित करेगा।


यह प्रावधान प्रशासनिक जवाबदेही को बढ़ाएगा और भूमि मालिकों को समय पर न्याय दिलाने में मदद करेगा। यह नीति विकास परियोजनाओं को गति देगी और मालिकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करेगी। लोगों से अपील है कि वे इस नीति का लाभ उठाएं।