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हरियाणा में आयुष्मान भारत योजना में महत्वपूर्ण बदलाव: सरकारी अस्पतालों में सीमित इलाज

हरियाणा सरकार ने आयुष्मान भारत और चिरायु योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है, जिसके तहत पांच सामान्य बीमारियों का इलाज अब केवल सरकारी अस्पतालों में किया जाएगा। इस निर्णय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाना और मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है। हालांकि, इस कदम से निजी अस्पतालों में आर्थिक नुकसान की आशंका जताई जा रही है। स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। जानें इस बदलाव के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
 

हरियाणा स्वास्थ्य सेवाओं में नया बदलाव

हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं: आयुष्मान भारत योजना में बड़ा बदलाव: अब 5 बीमारियों का इलाज केवल सरकारी अस्पतालों में: हरियाणा सरकार ने गरीब परिवारों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा देने वाली आयुष्मान भारत और चिरायु योजना में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन किया है। इस योजना के तहत पात्र परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलता है, जो पहले 650 से अधिक सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध था।


हालांकि, अब सरकार ने पांच सामान्य बीमारियों—मोतियाबिंद, बच्चेदानी का ऑपरेशन, पित्त की थैली का ऑपरेशन, उल्टी-दस्त, और दमा—के इलाज को केवल सरकारी अस्पतालों तक सीमित कर दिया है। इस निर्णय का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाना और मरीजों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करना है।हरियाणा स्वास्थ्य सेवाएं


स्वास्थ्य विभाग को लंबे समय से यह शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ निजी अस्पताल इन योजनाओं के तहत अनुचित बिलिंग कर रहे हैं। कई अस्पतालों ने बकाया भुगतान न मिलने का हवाला देकर मरीजों का इलाज रोकने की धमकी भी दी थी। एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि ये पांच बीमारियां निजी अस्पतालों में सबसे अधिक इलाज के लिए दर्ज की जा रही थीं, जबकि सरकारी अस्पतालों में इनके लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं।


इसलिए, सरकार ने यह निर्णय लिया कि आयुष्मान और चिरायु कार्ड धारकों को इन बीमारियों का इलाज अब केवल सरकारी अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों में ही कराना होगा। सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) को इस संबंध में निर्देश जारी किए जा चुके हैं।


इस फैसले से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की हरियाणा इकाई नाराज है। IMA के पदाधिकारियों का कहना है कि यह कदम निजी अस्पतालों के लिए आर्थिक नुकसान का कारण बनेगा, क्योंकि ये पांच बीमारियां सबसे आम हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव और मुख्यमंत्री नायब सैनी से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है।


वहीं, स्वास्थ्य मंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है। मनेठी में एम्स की ओपीडी जल्द शुरू होने वाली है, और नए मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ मौजूदा अस्पतालों को भी अपग्रेड किया जा रहा है।


यह बदलाव गरीब मरीजों को मुफ्त और गुणवत्तापूर्ण इलाज सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। सरकार का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में इन बीमारियों का इलाज संभव है, और लाभार्थियों को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जाएगी। यह कदम न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य ढांचे पर लोगों का विश्वास भी बढ़ाएगा।