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हरियाणा में गीता के श्लोक का अनिवार्य उच्चारण, शिक्षा में नया कदम

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में गीता के चौथे अध्याय के 34वें श्लोक का उच्चारण अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय न केवल शिक्षा में एक नया कदम है, बल्कि युवा पीढ़ी को गीता के गहन ज्ञान से जोड़ने का प्रयास भी है। गीता का अध्ययन छात्रों को जीवन के सही मार्ग को समझने में मदद करेगा। इसके साथ ही, हरियाणा सरकार ने कुरुक्षेत्र में गीता स्थली को विकसित करने के लिए 250 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। जानें इस निर्णय के पीछे का महत्व और गीता का संदेश।
 

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का निर्णय

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने राज्य के सभी सरकारी स्कूलों में गीता के चौथे अध्याय के 34वें श्लोक का प्रार्थना सभा में उच्चारण अनिवार्य कर दिया है। यह निर्णय सराहनीय है और इससे पहले उत्तराखंड सरकार ने भी इसी श्लोक को सरकारी स्कूलों में उच्चारण के लिए अनिवार्य किया था।


यह श्लोक इस प्रकार है:


तद्विद्धि प्रणिपातेन परिप्रश्नेन सेवया।


उपदेक्ष्यन्ति ते ज्ञानं ज्ञानिनस्तत्वदर्शिनः ॥


इस श्लोक का अर्थ है कि ज्ञान को प्राप्त करने के लिए तत्त्वदर्शी ज्ञानी व्यक्तियों के पास जाकर, उन्हें प्रणाम करके, उनकी सेवा करके और सरलता से प्रश्न पूछकर, वे आपको उस ज्ञान का उपदेश देंगे।


गीता का महत्व

श्री अरविन्द ने गीता को जगत की श्रेष्ठ धर्मपुस्तक बताया है। गीता में जो ज्ञान प्रस्तुत किया गया है, वह गहन और चरम है। यह पुस्तक जीवन के मार्ग को स्पष्ट करती है और अनगिनत रत्नों का भंडार है।


हालांकि, मुस्लिम और ईसाई समाज कुरान और बाईबल की जानकारी रखते हैं, वहीं हिंदू समाज गीता के ज्ञान से वंचित है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का यह प्रयास युवा पीढ़ी को गीता से जोड़ने का है, जो आज के भौतिकवादी युग में अत्यंत आवश्यक है।


कुरुक्षेत्र का विकास

हरियाणा सरकार ने गीता स्थली ज्योतिसर को एक ऐतिहासिक स्थल बनाने के लिए 250 करोड़ रुपये खर्च करने का निर्णय लिया है। कुरुक्षेत्र को सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विकसित करना समय की मांग है।


महाभारत युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया ज्ञान आज भी प्रासंगिक है। यह ज्ञान सभी के लिए है और इसे अपने आचरण में लाने वाला व्यक्ति सभी में परमात्मा को देखता है।


समापन


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक