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हरियाणा में न्यूक्लियर पावर प्लांट: ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

हरियाणा में स्थापित होने वाला न्यूक्लियर पावर प्लांट, जो उत्तर भारत का पहला होगा, राज्य को 50% बिजली का लाभ प्रदान करेगा। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा की, जिसमें 2800 मेगावाट की क्षमता वाले चार प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर शामिल हैं। यह परियोजना 2031 तक पूरी होने की उम्मीद है और भारत की स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगी। जानें इस महत्वपूर्ण परियोजना के बारे में और कैसे यह हरियाणा की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
 

हरियाणा में न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना


हरियाणा समाचार: उत्तर भारत में पहले न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थापना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो क्षेत्र में ऊर्जा उत्पादन और वितरण को नया मोड़ देगा। यह परियोजना हरियाणा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे राज्य को 50% बिजली का सीधा लाभ प्राप्त होगा।


केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने फतेहाबाद, हरियाणा में गोरखपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना (GHAVP) की प्रगति की समीक्षा की। यह संयंत्र 2800 मेगावाट की क्षमता के साथ उत्तर भारत का पहला न्यूक्लियर पावर प्लांट होगा। परियोजना का लक्ष्य 2031 तक पूरा करना है, जिससे हरियाणा को 50% बिजली मिलेगी। मंत्री ने कहा कि परमाणु ऊर्जा स्वच्छ और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस परियोजना में NPCIL का महत्वपूर्ण योगदान है और इसकी कुल लागत 41,594 करोड़ रुपये है।


शनिवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने फतेहाबाद में गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना (GHAVP) की प्रगति का अवलोकन किया। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (NPCIL) इस परियोजना का संचालन कर रहा है, जो उत्तर भारत का पहला न्यूक्लियर संयंत्र होगा।


मुख्यमंत्री का दौरा और चर्चा


मंत्री ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के साथ संयंत्र स्थल का निरीक्षण किया और NPCIL के अधिकारियों से परियोजना की वर्तमान स्थिति और भविष्य की योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की। मनोहर लाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "एक्स" (पूर्व ट्विटर) पर बताया कि यह परियोजना न केवल हरियाणा बल्कि उत्तर भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करेगी, बल्कि भारत की स्वच्छ ऊर्जा प्रतिबद्धता को भी मजबूत करेगी।


परियोजना और इसकी संरचना


GHAVP परियोजना में चार प्रेशराइज्ड हेवी वॉटर रिएक्टर (PHWR) स्थापित किए जा रहे हैं, जिनकी प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट है। पूरी परियोजना का अनुमानित खर्च 41,594 करोड़ रुपये है। व्यापार मार्च 2031 तक शुरू होने की उम्मीद है।


बिजली का प्रवाह और लक्ष्य


चारों संयंत्रों से 2,800 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। इसमें से 50% बिजली हरियाणा को मिलेगी, जबकि बाकी 50% देश के केंद्रीय पूल में जाएगी, जिसका उपयोग आवश्यकतानुसार किया जाएगा। मनोहर लाल ने कहा कि पहले दो इकाइयां 2031 में और बाकी दो 2032 में शुरू होंगी। मंत्री ने बताया कि आमतौर पर परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को 13 से 13.5 वर्ष लगते हैं, लेकिन GHAVP में प्रशासनिक और तकनीकी कारणों से देरी हुई है। जनवरी 2014 में परियोजना की स्वीकृति मिली थी।


20 से 28 डिग्री सेल्सियस एयर कंडीशनर का तापमान


मनोहर लाल ने यह भी बताया कि सरकार 20 से 28 डिग्री सेल्सियस तक एयर कंडीशनर के तापमान को मानकीकृत करने की योजना पर काम कर रही है, जिससे बिजली की बचत होगी। NPCIL स्थानीय समुदायों के लिए CSR योजनाएं भी चला रहा है, जिसमें लगभग 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसमें स्कूलों और सड़कों का निर्माण, मेडिकल वैन की व्यवस्था और एस्ट्रो टर्फ हॉकी मैदान का निर्माण शामिल है। यह परियोजना देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।