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हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल: स्वास्थ्य सेवाओं पर पड़ेगा असर

हरियाणा में सरकारी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर आज से दो दिनों की हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल के चलते प्रदेश के कई अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होने की संभावना है। डॉक्टरों की हड़ताल का कारण सरकार के साथ तीन दौर की बातचीत में सहमति न बन पाना है। जानें इस हड़ताल के पीछे की वजह और इससे प्रभावित होने वाले अस्पतालों के बारे में।
 

सरकार के साथ बातचीत असफल


चंडीगढ़: हरियाणा में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक आज से दो दिनों के लिए हड़ताल पर जा रहे हैं। यह निर्णय उनकी मांगों के निपटारे में विफलता के कारण लिया गया है। इस हड़ताल के चलते प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे मरीजों को इलाज के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन ने डायरेक्ट एसएमओ भर्ती सहित कई मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन किया है।


सरकारी अधिकारियों के साथ तीन दौर की वार्ता

जब विवाद बढ़ा, तो सरकारी अधिकारियों ने डॉक्टरों के साथ तीन दौर की बातचीत की। इस बातचीत में सरकार ने सीनियर मेडिकल ऑफिसर (एसएमओ) की सीधी भर्ती प्रक्रिया को रोकने पर सहमति जताई। हालांकि, एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एसीपी) को लागू करने की मुख्य मांग पर कोई सहमति नहीं बन पाई। इसी कारण एसोसिएशन के आह्वान पर डॉक्टरों ने हड़ताल का निर्णय लिया। रविवार की रात तक उनकी सरकार से बातचीत जारी रही, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।


28 सिविल अस्पतालों में सेवाएं प्रभावित

यह अनुमान लगाया गया है कि डॉक्टरों की हड़ताल के कारण प्रदेश के 28 सिविल अस्पतालों के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में सेवाएं बाधित रहेंगी। प्रदेश में कुल 3900 सरकारी डॉक्टर तैनात हैं, जिनमें से लगभग तीन हजार डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने की संभावना है।


एसीपी पर सहमति नहीं बन पाई

लंबी बातचीत के बाद, सरकार ने सीनियर मेडिकल ऑफिसर (एसएमओ) की सीधी भर्ती प्रक्रिया को रोकने पर सहमति दी, जिसे एसोसिएशन ने अपनी बड़ी जीत माना। हालांकि, एसीपी (एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन) को लागू करने की प्रमुख मांग पर कोई सहमति नहीं बन पाई। इस कारण बैठक सकारात्मक होते हुए भी निर्णायक मोड़ नहीं ले सकी।