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हिंदी शायरी: इस भाषा की मिठास और गर्व का अनुभव करें

हिंदी शायरी केवल शब्दों का समूह नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति और पहचान का प्रतीक है। इस लेख में, हम प्रसिद्ध शायरों के दिल को छूने वाले शेरों का अनुभव करेंगे, जो हिंदी की मिठास और गर्व को उजागर करते हैं। आइए, इस अद्भुत भाषा की शान में लिखी गई शायरियों को पढ़ें और गर्व महसूस करें।
 

हिंदी शायरी: एक अद्भुत अनुभव

हिंदी शायरी: हिंदी पर शायरी: ये शेर आपके दिल को छू लेंगे, इन्हें पढ़कर गर्व महसूस होगा!: नई दिल्ली: हिंदी केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मा का प्रतीक है। अमीर खुसरो से लेकर कुमार विश्वास तक, इस मधुर भाषा ने कई शायरों के दिल के जज़्बातों को शब्दों में ढाला है।


हिंदी ने साहित्य की दुनिया को कविताओं, कहानियों, दोहों और शायरी से सजाया है। यह भाषा भारत के 150 करोड़ लोगों के दिलों को जोड़ती है। आइए, हिंदी की शान में लिखी गई कुछ प्रसिद्ध शायरियों को पढ़ें और इसकी मिठास का अनुभव करें।


हिंदी पर शायरी

लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कुराती है, मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिंदी मुस्कुराती है - मुनव्वर राना
साफ़-सुथरी ज़बान हिंदी है, खुश-बयानी की जान हिंदी है - चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
मिस्ल-ए-अंजुम उफ़ुक़-ए-क़ौम पे रौशन भी हुए, बुत-ए-हिंदी की मोहब्बत में बिरहमन भी हुए - अल्लामा इक़बाल
इंग्लिश अगर न आ सकी हिंदी तो सीख ली, उस शोख़ की निगाह में जाहिल नहीं रहा - हाशिम अज़ीमाबादी
मेरी उर्दू के सब बोल तिरे, तिरी हिंदी भाषा मोरी सजन - इंजील सहीफ़ा


हिंदी भाषा की शायरी

कोई किताब अपने ठिकाने न रह सकी, हिंदी को फ़ारसी में मिलाते चले गए - राजा मेहदी अली ख़ाँ
फ़र्क़ समझते हैं अब तक हिंदी सिंधी पंजाबी में, इन अक़्ल के पूरे लोगों से लड़ने की हिमाक़त कौन करे - अबुल फ़ितरत मीर ज़ैदी
तेग़ की हिंदी अगर तलवार है, फ़ारसी पगड़ी की भी दस्तार है - मिर्ज़ा ग़ालिब
सगी बहनों का जो रिश्ता है उर्दू और हिंदी में, कहीं दुनिया की दो ज़िंदा ज़बानों में नहीं मिलता - मुनव्वर राना


हिंदी दिवस पर शायरी

दिया 'इक़बाल' ने हिंदी मुसलमानों को सोज़ अपना, ये इक मर्द-ए-तन-आसाँ था तन-आसानों के काम आया - अल्लामा इक़बाल
हिंदी बोलूं आरसी आए, 'ख़ुसरव' कहे कोई न बताए - अमीर ख़ुसरो
हिंदी में और उर्दू में फ़र्क़ है तो इतना, वो ख़्वाब देखते हैं हम देखते हैं सपना - अज्ञात
कोई देखे तो मेरी नय-नवाज़ी, नफ़्स हिंदी मक़ाम-ए-नग़्मा ताज़ी! - अल्लामा इक़बाल
जब से बच्चों को पसंद आई हैं हिंदी फिल्में, मुझ को अब्बा नहीं कहते वो पिता कहते हैं - खालिद इरफ़ान
भारत प्यारा देश हमारा सब देशों से न्यारा है, मज़हब कुछ हो हिंदी हैं हम सारे भाई भाई हैं - हामिदुल्लाह अफ़सर


हिंदी की शान में शायरी

इस ने ज़बान-ए-'मीर' को हिंदी का रस दिया, उर्दू ग़ज़ल को इस ने नया कैनवस दिया - दिलावर फ़िगार
निफ़ाक़ ओ ग़फ़लत की आड़ ले कर जियेगा मुर्दा निज़ाम कब तक, रहेंगे हिंदी असीर कब तक रहेगा भारत ग़ुलाम कब तक - कैफ़ी आज़मी


मौज-ए-हवा को चूमता आया, मेरी ज़बां थी उर्दू, हिंदी - अली सरदार जाफरी
इक 'मीर' था सो आज भी काग़ज़ में क़ैद है, हिंदी ग़ज़ल का दूसरा अवतार मैं ही हूँ - बशीर बद्र
अल-क़िस्सा अजीब ज़ीक़ में हैं हिंदी, यूरोप का ख़ुदा कहां पर जो हामी हो - अकबर इलाहाबादी
उर्दू हिंदी प्यारी बहनें, प्यार का गहना दोनों पहनें - जौहर रहमानी


हिंदी पर लिखे ये शेर बताते हैं कि यह भाषा सिर्फ शब्दों का समूह नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, पहचान और गर्व का प्रतीक है। यह हर हिंदुस्तानी के दिल को जोड़ने वाली मिठास है।