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हिरोशिमा की 80वीं वर्षगांठ: परमाणु खतरे की नई परिभाषा

हिरोशिमा की 80वीं वर्षगांठ पर, यह लेख परमाणु खतरे की बदलती परिभाषा पर ध्यान केंद्रित करता है। 1945 में हुए विनाश के बाद से, नाभिकीय हथियारों की स्थिति में कई बदलाव आए हैं। आज, रूस और पाकिस्तान जैसे देश परमाणु हथियारों का उपयोग करने की धमकी दे रहे हैं, जबकि अमेरिका और रूस के बीच न्यू START समझौता समाप्त होने वाला है। क्या दुनिया एक बार फिर परमाणु खतरे की ओर बढ़ रही है? जानें इस लेख में।
 

हिरोशिमा का विनाश

हिरोशिमा, जो अस्सी साल पहले जापान का एक साधारण शहर था, 6 अगस्त 1945 को एक भयानक घटना का गवाह बना। सुबह 8:15 बजे, एक तेज़ सफ़ेद चमक ने आसमान को चीर दिया और शहर को पल भर में नष्ट कर दिया। आग की लपटों ने लकड़ी के घरों को जला दिया, और कुछ ही समय में काला पानी बरसने लगा। जो लोग बचे थे, वे धुएँ में भटक रहे थे, उनके कपड़े फटे हुए और त्वचा झुलसी हुई थी। इस त्रासदी में हजारों लोग मारे गए, और रात तक हिरोशिमा केवल एक याद बनकर रह गया। यह घटना इस बात का प्रमाण थी कि 'संप्रभुता' के नाम पर इंसान किसी शहर को पूरी तरह से नष्ट कर सकता है।


परमाणु हथियारों की चेतावनी

हिरोशिमा के मलबे से एक महत्वपूर्ण सहमति उभरी कि नाभिकीय हथियार इतने खतरनाक हैं कि न तो उनका उपयोग किया जा सकता है और न ही उन्हें धमकी के रूप में पेश किया जा सकता है। इसी सहमति के आधार पर परमाणु अप्रसार संधि (NPT) बनी। हालांकि, पश्चिमी देशों ने अपने परमाणु भंडार को बनाए रखा जबकि अन्य देशों को इसे छोड़ने के लिए कहा।


परमाणु युग का नया दौर

2009 में, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक परमाणु-मुक्त दुनिया का सपना देखा था, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। रूस ने अपने परमाणु सिद्धांत को संशोधित किया है, जिससे वह पारंपरिक हमले के जवाब में भी परमाणु हथियारों का उपयोग कर सकता है। हाल ही में, पाकिस्तान के जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका में भारत के खिलाफ परमाणु युद्ध की धमकी दी, जो एक गंभीर संकेत है।


न्यू START का अंत

अमेरिका और रूस के बीच न्यू START समझौता 5 फरवरी 2026 को समाप्त होने वाला है, और इसके नवीनीकरण के कोई संकेत नहीं हैं। इसके बिना, दोनों देश बिना किसी सीमा के अपने परमाणु भंडार को बढ़ा सकते हैं। यह केवल एक कानूनी चूक नहीं, बल्कि उस ढांचे का अंत है जिसने पिछले आधी सदी में परमाणु हथियारों के फैलाव को नियंत्रित किया।


भविष्य की अनिश्चितता

आज की परमाणु दुनिया बहुध्रुवीय और जटिल है, जहाँ विभिन्न देश अपने-अपने भंडार और सिद्धांतों के साथ मौजूद हैं। इस स्थिति में, भविष्य के परिदृश्यों का अनुमान लगाना कठिन हो गया है। दक्षिण एशिया में, मिसाइलों की तेजी से उड़ान का मतलब है कि नेताओं के पास निर्णय लेने के लिए केवल कुछ ही मिनट हैं।


तकनीकी चुनौतियाँ

नई तकनीक, जैसे हाइपरसोनिक मिसाइलें और एआई-सहायता प्राप्त लक्ष्य-निर्धारण, इस अस्थिरता को और बढ़ा रही हैं। बिना न्यू START या किसी वैकल्पिक समझौते के, यह एक बेकाबू परमाणु दौड़ बन सकती है।


हिरोशिमा की चेतावनी

हिरोशिमा के बचे हुए लोग एटमी विनाश के खिलाफ चेतावनी देते रहे हैं। लेकिन आज, जब युद्ध को केवल स्क्रीन पर देखा जाता है, तो भय अमूर्त हो गया है। आने वाला समय परमाणु संतुलन से नहीं, बल्कि अस्थिरता से परिभाषित होगा।