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हैदराबाद में स्कूल यूनिफॉर्म के कारण बच्चे की आत्महत्या की दुखद घटना

हैदराबाद में एक नौ वर्षीय बच्चे ने स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर सहपाठियों द्वारा किए गए उत्पीड़न के कारण आत्महत्या कर ली। यह घटना न केवल परिवार के लिए एक बड़ा सदमा है, बल्कि स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और उत्पीड़न के मुद्दे पर गंभीर सवाल उठाती है। पुलिस और शिक्षा विभाग ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और सख्त नियमों की बात की है। जानें इस दुखद घटना के सभी पहलुओं के बारे में।
 

दुखद घटना का विवरण


नई दिल्ली: हैदराबाद से एक अत्यंत दुखद घटना सामने आई है। एक नौ वर्षीय बच्चे ने स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर उत्पीड़न का सामना करने के बाद आत्महत्या कर ली। यह बच्चा चौथी कक्षा का छात्र था और चंदननगर में अपने परिवार के साथ रहता था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और परिजनों के बयान दर्ज किए हैं।


बच्चे की पहचान और उत्पीड़न का कारण

मृतक बच्चे का नाम प्रशांत है। परिजनों के अनुसार, प्रशांत को स्कूल में सहपाठियों द्वारा बार-बार सही यूनिफॉर्म न पहनने के लिए चिढ़ाया जाता था, जिससे वह मानसिक तनाव में रहने लगा था। मंगलवार की शाम, जब वह स्कूल से लौटकर घर में अकेला था, तब उसने आत्महत्या का कदम उठाया।


आत्महत्या का तरीका

जानकारी के अनुसार, प्रशांत ने घर के वॉशरूम में जाकर अपने स्कूल आईडी कार्ड की डोरी का उपयोग कर फांसी लगा ली। जब परिवार के अन्य सदस्य घर पहुंचे, तो उन्होंने बच्चे को गंभीर स्थिति में पाया। तत्पश्चात, उसे नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।


पुलिस की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। शव को पोस्टमार्टम के लिए गांधी अस्पताल भेजा गया। कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद, बच्चे का अंतिम संस्कार उसके पैतृक गांव में किया गया।


परिवार का बयान

प्रशांत के पिता, शंकर ने बताया कि उनका बेटा बहुत सक्रिय और मिलनसार था। उन्होंने कहा कि प्रशांत का किसी से कोई झगड़ा नहीं था। शंकर उसी अपार्टमेंट में चौकीदार के रूप में काम करते हैं, जहां उनका परिवार रहता है। इससे पहले, वह उसी स्कूल में ड्राइवर के रूप में कार्यरत थे, जहां उनका बेटा पढ़ता था।


शिक्षा विभाग की प्रतिक्रिया

इस घटना ने स्कूलों में बच्चों के साथ हो रहे उत्पीड़न और मानसिक दबाव के मुद्दे को उजागर किया है। पुलिस और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि स्कूलों में उत्पीड़न रोकने के लिए सख्त नियम लागू हैं। गंभीर मामलों में दोषी छात्रों को निलंबन, स्कूल बदलने और काउंसलिंग जैसी सजा का सामना करना पड़ सकता है।