2026 में सूर्य ग्रहण: जानें इसकी विशेषताएँ और प्रभाव
2026 का पहला सूर्य ग्रहण
साल 2026 में पहला सूर्य ग्रहण 17 फरवरी को होगा। यह ग्रहण फाल्गुन मास की अमावस्या के दिन आएगा और खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दौरान ऐनुलर सोलर इकलिप्स का दृश्य देखने को मिलेगा, जिसे आमतौर पर सूर्य के चारों ओर आग की अंगूठी के रूप में जाना जाता है।
फरवरी 2026 का सूर्य ग्रहण कब और कैसा होगा
यह सूर्य ग्रहण मंगलवार, 17 फरवरी 2026 को होगा। इस दिन चंद्रमा सूर्य के मध्य भाग को ढक लेगा, लेकिन उसका आकार सूर्य को पूरी तरह से ढकने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। इसलिए, सूर्य के किनारे एक चमकदार वलय के रूप में दिखाई देगा।
यह क्यों खास है
ऐनुलर सूर्य ग्रहण अपेक्षाकृत कम देखने को मिलता है। इसमें सूर्य पूरी तरह से अंधकारमय नहीं होता, और यह खगोल वैज्ञानिकों के लिए सूर्य की बाहरी परत के अध्ययन का एक अवसर प्रदान करता है।
कहां दिखाई देगा यह सूर्य ग्रहण
इस ग्रहण का पूर्ण ऐनुलर रूप अंटार्कटिका में सबसे स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा। इसके अलावा, दक्षिणी अफ्रीका, मेडागास्कर, और दक्षिणी अमेरिका के कुछ हिस्सों में इसे आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में देखा जा सकेगा।
क्या भारत में दिखेगा फरवरी 2026 का सूर्य ग्रहण
यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए, भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा और धार्मिक गतिविधियों पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। भारतीय समय के अनुसार, ग्रहण की अवधि लगभग दोपहर 3:26 बजे से शाम 5:27:46 बजे तक होगी, हालांकि यह केवल खगोलीय गणना के लिए है।
सूर्य ग्रहण कैसे बनता है
सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और सूर्य की रोशनी आंशिक या पूरी तरह से ढक जाती है। ऐनुलर ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से थोड़ा दूर होता है और उसका आकार सूर्य को पूरी तरह से ढक नहीं पाता।
ज्योतिष के अनुसार ग्रहण का प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यह सूर्य ग्रहण कुंभ राशि और धनिष्ठा नक्षत्र में घटित होगा। कुंभ राशि वालों पर इसका प्रभाव अधिक बताया जाता है, खासकर जिनकी कुंडली में सूर्य या चंद्र प्रमुख स्थिति में हों। ऐसे लोग अपने कामकाज और निजी जीवन में बदलाव महसूस कर सकते हैं।
वैज्ञानिक और धार्मिक दृष्टिकोण में अंतर
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, सूर्य ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, जबकि धार्मिक दृष्टिकोण से इसे सावधानी और आत्मसंयम से जोड़ा जाता है। भारत में इसे दृश्य न होने के कारण धार्मिक नियम लागू नहीं होंगे, लेकिन आस्था रखने वाले लोग मानसिक रूप से सतर्क रहेंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह जानकारी
सूर्य ग्रहण से जुड़ी सही जानकारी अफवाहों से बचाती है, धार्मिक भ्रम को दूर करती है, और खगोल विज्ञान में रुचि बढ़ाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे खगोलीय घटनाक्रमों को वैज्ञानिक नजरिए से समझना आवश्यक है।
आगे क्या
2026 में इसके बाद भी खगोलीय घटनाएं होंगी, जिनमें चंद्र ग्रहण और अन्य सूर्य ग्रहण शामिल हैं। खगोल प्रेमियों के लिए यह वर्ष काफी रोचक रहने वाला है।