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Greater Noida में 2.39 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के आरोपी की जमानत खारिज

Greater Noida में 2.39 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के आरोपी मुकेश सक्सेना की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया है। अदालत ने आरोपी की गंभीर भूमिका को देखते हुए यह निर्णय लिया। यह मामला एक रिटायर्ड अधिकारी से जुड़ा है, जिसने आरोप लगाया कि उसे डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और मानसिक रूप से डराया गया। जांच में पता चला कि आरोपी ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर ठगी की थी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और अदालत के निर्णय के पीछे के कारण।
 

साइबर ठगी का मामला

Greater Noida News: सत्र न्यायाधीश की अदालत ने 2.39 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में आरोपी मुकेश सक्सेना की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने यह निर्णय लिया कि आरोपी की संलिप्तता गंभीर है और वह ठगी की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।


रिटायर्ड अधिकारी से ठगी का विवरण

रिटायर्ड अधिकारी से हुई ठगी
यह मामला विदेश सेवा से रिटायर्ड सुभाष चंद्र मल्होत्रा से संबंधित है। इस मामले में साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। पुलिस ने 18 मार्च 2025 को जांच शुरू की थी। पीड़ित ने आरोप लगाया कि उन्हें 3 फरवरी से 11 मार्च 2025 तक 42 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा गया और मानसिक रूप से डराया-धमकाया गया, जिसके परिणामस्वरूप 2.39 करोड़ रुपये की ठगी हुई।


जांच में मिली जानकारी

जांच में हुई पहचान
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि मुकेश सक्सेना ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर यह ठगी की थी। अभियोजन पक्ष ने बताया कि पीड़ित के खाते से निकाली गई राशि मुकेश के बैंक खाते में ट्रांसफर की गई। यह खाता दीप एंटरप्राइजेज नामक फर्म के तहत संचालित था। रिकॉर्ड से पता चला कि 25 फरवरी को मुकेश के खाते में लगभग 17 लाख रुपये जमा हुए थे।


खाते की जानकारी का दुरुपयोग

खाते की जानकारी सौंपी थी
मुकेश ने यह खाता और उससे संबंधित सभी जानकारी, जैसे यूजर आईडी, पासवर्ड और सिम कार्ड, कैफ और इमरान को सौंप दिए थे। इनकी मदद से राशि का ट्रांसफर किया गया। इसके बदले में मुकेश को 1.04 लाख रुपये की कमीशन मिली, जिसमें 40 हजार रुपये नकद और 64 हजार रुपये उसकी पत्नी के पेटीएम खाते में भेजे गए।


अदालत का निर्णय

अदालत ने माना गंभीर अपराध
इससे पहले, मामले में अन्य आरोपी अनीश अहमद और पुष्पेंद्र की जमानत याचिकाएं भी खारिज की जा चुकी हैं। अदालत का मानना है कि इस प्रकार के साइबर अपराध समाज के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं और इन पर कठोर कार्रवाई आवश्यक है।