GST प्रणाली में बदलाव: क्या केवल 5% और 18% टैक्स स्लैब होंगे?
सरकार का GST प्रणाली को सरल बनाने का प्रयास
भारत सरकार वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को और अधिक सहज और पारदर्शी बनाने के लिए कदम उठा रही है। हाल ही में आयोजित मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर सहमति बनी, जिसमें GST दरों को तर्कसंगत बनाने की बात की गई। इस बैठक में सुझाव दिया गया कि मौजूदा चार टैक्स स्लैब को घटाकर केवल दो मुख्य स्लैब में परिवर्तित किया जाए।
नए स्लैब: 5% और 18%
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता में गठित इस छह-सदस्यीय मंत्रिसमूह ने सिफारिश की है कि GST के तहत अब केवल 5% और 18% के दो स्लैब लागू किए जाएं। इस प्रस्ताव के अनुसार, आवश्यक वस्तुओं और जनोपयोगी सेवाओं पर 5% कर लगाया जाएगा, जबकि सामान्य वस्तुओं और सेवाओं पर 18% टैक्स लगेगा। इसके अतिरिक्त, कुछ लक्जरी वस्तुओं और विशेष श्रेणी के उत्पादों के लिए 40% की अधिकतम कर दर बनाए रखने का सुझाव भी दिया गया है।
12% और 28% स्लैब का समापन
इस निर्णय के लागू होने पर, लगभग 99% वस्तुएं जो वर्तमान में 12% के स्लैब में आती हैं, उन्हें 5% की दर में शामिल किया जाएगा। वहीं, जो वस्तुएं पहले 28% टैक्स स्लैब में थीं, उनमें से करीब 90% को अब 18% की दर पर टैक्स देना होगा। यह बदलाव न केवल कर प्रणाली को सरल बनाएगा, बल्कि व्यापार जगत और उपभोक्ताओं को भी राहत प्रदान करेगा।
लग्जरी वस्तुओं पर उच्च कर
बैठक में यह भी सुझाव दिया गया कि लग्जरी कारों और कुछ हानिकारक वस्तुओं (जैसे तंबाकू उत्पाद) पर 40% की कर दर लागू रहनी चाहिए। इस प्रस्ताव को उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों के वित्त मंत्रियों का समर्थन प्राप्त हुआ है।
करदाताओं की संख्या बढ़ाने का प्रयास
राज्यों के मंत्रियों का मानना है कि इस संशोधन से टैक्स सिस्टम में पारदर्शिता आएगी और अधिक लोग टैक्स भरने के लिए प्रेरित होंगे। यह विशेष रूप से छोटे कारोबारियों और खुदरा व्यापारियों के लिए लाभकारी होगा, क्योंकि टैक्स की गणना और अनुपालन पहले से अधिक सरल हो जाएगा।
निर्मला सीतारमण का बयान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बदलाव को सकारात्मक बताते हुए कहा कि GST दरों को तर्कसंगत बनाकर सरकार आम जनता को राहत देना चाहती है। उनके अनुसार, इस नए मॉडल से वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आएगी, जिससे महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। साथ ही, कर प्रणाली और अधिक सरल और पारदर्शी हो सकेगी।