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IIT बॉम्बे में छात्र की आत्महत्या: मानसिक स्वास्थ्य पर चिंता बढ़ी

IIT बॉम्बे में एक छात्र की आत्महत्या ने देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को फिर से उजागर किया है। 22 वर्षीय रोहित सिन्हा ने हॉस्टल से कूदकर आत्महत्या की, जिससे छात्रों के बीच बढ़ते दबाव और तनाव पर गंभीर सवाल उठे हैं। इस घटना के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने भी चिंता व्यक्त की है और प्रबंधन से जवाबदेही मांगी है। जानें इस घटना के बारे में और क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
 

घटना का विवरण

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे (IIT-Bombay) के एक 22 वर्षीय छात्र ने शनिवार को हॉस्टल की इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली। यह घटना एक बार फिर से देश के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और उन पर पड़ने वाले दबाव को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। बताया गया है कि छात्र ने सुबह लगभग 1:00 बजे यह कदम उठाया। उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।


मृतक छात्र की पहचान

मृतक की पहचान रोहित सिन्हा के रूप में हुई है, जो नई दिल्ली का निवासी था और IIT बॉम्बे में मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग और मटेरियल्स साइंस का चौथा वर्ष का छात्र था। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना तब हुई जब सिन्हा का हॉस्टल मेट छत पर फोन पर बात कर रहा था। आत्महत्या के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, और पुलिस ने इस मामले में Accidental Death Report (ADR) दर्ज की है।


आईआईटी में आत्महत्याओं का बढ़ता सिलसिला

2025 में देश के विभिन्न IITs में आत्महत्या से संबंधित कई घटनाएं सामने आई हैं, जो एक चिंताजनक प्रवृत्ति को दर्शाती हैं। उदाहरण के लिए, IIT खड़गपुर में हाल ही में हुई रहस्यमय मौतों ने भी इस समस्या को उजागर किया है। जुलाई में, IIT खड़गपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र चंद्रदीप पवार रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए गए थे। यह संस्थान में छात्र की मृत्यु की दूसरी घटना थी।


सुप्रीम कोर्ट की चिंता

इन घटनाओं पर ध्यान देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को शैक्षणिक संस्थानों में बढ़ती आत्महत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की खंडपीठ ने IIT खड़गपुर के प्रबंधन से सवाल किया कि छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं और प्रबंधन इस पर क्या कर रहा है। उन्होंने पश्चिम बंगाल पुलिस को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।