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INS Tamal: भारतीय नौसेना में शामिल हुआ अंतिम रूसी युद्धपोत

INS Tamal, जो कि भारतीय नौसेना का नवीनतम युद्धपोत है, रूस में निर्मित होकर अब भारतीय बेड़े का हिस्सा बन गया है। यह युद्धपोत न केवल समुद्री सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, बल्कि भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय संबंधों को भी मजबूत करेगा। INS Tamal में कई स्वदेशी सिस्टम शामिल हैं, जो इसे और भी प्रभावी बनाते हैं। जानें इस युद्धपोत की विशेषताओं और इसके महत्व के बारे में।
 

INS Tamal का कमीशन

INS Tamal का भारतीय नौसेना में कमीशन: रूस में निर्मित युद्धपोत INS तमाल (F-71) अब भारतीय नौसेना का हिस्सा बन गया है। इसे 1 जुलाई 2025 को रूस के कलिनिनग्राद स्थित यंतर शिपयार्ड से समुद्र में उतारा गया और भारत के लिए रवाना किया गया। इस युद्धपोत में 250 नाविक और 26 अधिकारी शामिल हैं। जलावतरण समारोह में युद्धपोत के क्रू मेंबर्स और रूस के बाल्टिक नौसेना के कर्मियों ने जॉइंट गार्ड ऑफ ऑनर दिया। यह युद्धपोत हवा, पानी और जमीन पर हमले की क्षमता रखता है और यह रूस के प्रोजेक्ट 1135.6 स्टील्थ फ्रिगेट श्रेणी का अंतिम युद्धपोत है।


INS Tamal की विशेषताएँ

INS तमाल भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े में शामिल होगा और इसमें एक चौथाई से अधिक सिस्टम भारत में निर्मित हैं। यह युद्धपोत रूस के प्रोजेक्ट 1135.6 का आठवां और स्टील्थ फ्रिगेट का दूसरा युद्धपोत है। इस प्रोजेक्ट के तहत पहले से ही 7 युद्धपोत भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े का हिस्सा हैं। युद्धपोत की कमान कैप्टन श्रीधर टाटा के हाथों में है, जो तोपखाना और मिसाइल युद्ध के विशेषज्ञ हैं।


द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना

युद्धपोत ने रूस से द्विपक्षीय संबंध मजबूत बनाए

INS तमाल के जलावतरण समारोह में मुख्य अतिथि वाइस एडमिरल संजय जसजीत सिंह ने कहा कि यह युद्धपोत भारतीय समुद्र की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और रूस के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करेगा। हालांकि यह युद्धपोत रूस में बना है, लेकिन इसमें 26% सिस्टम स्वदेशी हैं, जिनमें लंबी दूरी तक हमला करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और HUMSA-NG सोनार सिस्टम शामिल हैं। यह युद्धपोत सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, 100 मिलीमीटर लंबी बंदूकों, 30 मिलीमीटर के क्लोज-इन हथियारों, पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर्स और टोरपीडो से लैस है।


समारोह में चर्चा

समारोह में रूस के सैन्य तकनीकी सहयोग के उप-महानिदेशक मिखाइल बेबिच ने दोनों देशों के बीच समुद्री रक्षा सहयोग पर चर्चा की। युद्धपोत के निर्माण की देखरेख करने वाले वाइस एडमिरल आर. स्वामीनाथन ने कहा कि INS तमाल भारत-रूस रक्षा साझेदारी को मजबूत करता है। यह पिछले 65 वर्षों में इस साझेदारी के तहत निर्मित 51वां जहाज है। INS तमाल इतना मजबूत है कि इस पर कामोव-28 और कामोव-31 जैसे हेलिकॉप्टर भी उतर सकते हैं।