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Meghalaya में कोयला चोरी पर बवाल: मंत्री का विवादास्पद बयान

मेघालय में कोयले के अवैध खनन और उसकी गुमशुदगी को लेकर एक बार फिर से विवाद उठ खड़ा हुआ है। आबकारी मंत्री किरमेन शायला के हालिया बयान ने इस मुद्दे को और गरमा दिया है। उन्होंने भारी बारिश को कोयले की गुमशुदगी का संभावित कारण बताया, जिससे उच्च न्यायालय ने सरकार को कड़ी फटकार लगाई। विपक्ष और पर्यावरण कार्यकर्ता इस पर सवाल उठा रहे हैं। जानिए इस मामले में और क्या कहा गया है और मंत्री की प्रतिक्रिया क्या रही है।
 

Meghalaya Coal Theft: विवादास्पद बयान

Meghalaya Coal Theft: मेघालय में अवैध कोयला खनन और उसके गायब होने की घटनाओं ने एक बार फिर से चर्चा का विषय बना दिया है। इस बार राज्य के आबकारी मंत्री किरमेन शायला के बयान ने इस मुद्दे को और भी गर्म कर दिया है। उच्च न्यायालय ने जब राज्य सरकार से हजारों टन कोयले की गुमशुदगी के बारे में सवाल किए, तो मंत्री ने भारी बारिश को इसके पीछे का संभावित कारण बताया। न्यायालय ने पारदर्शिता और प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल उठाते हुए सरकार को कड़ी फटकार लगाई। इसके बाद मंत्री का यह तर्क अब सार्वजनिक बहस का हिस्सा बन गया है, जिससे विपक्ष और पर्यावरण कार्यकर्ता सरकार की नीयत और निगरानी प्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं।


आबकारी मंत्री का बयान

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से राजाजू और डिएंगन गांवों से गायब हुए कोयले के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था। इस पर आबकारी मंत्री किरमेन शायला ने कहा, 'मेघालय में सबसे अधिक वर्षा होती है। आप कभी नहीं जानते कि बारिश के कारण कोयला बह गया होगा। संभावना बहुत अधिक है।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, 'मैं इस गुमशुदगी को सही नहीं ठहरा रहा हूं।'


मंत्री शायला का अनुमान

मंत्री शायला ने यह स्वीकार किया कि उनके पास यह साबित करने के लिए कोई ठोस प्रमाण नहीं है कि कोयला बारिश के कारण बह गया या यह किसी अवैध गतिविधि का परिणाम है। उन्होंने कहा, 'ऐसे दावे करने से पहले हमें पुख्ता सबूत की जरूरत है।' उनका यह बयान कोर्ट की फटकार के बाद आया, जिसने कोयले की निगरानी में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।


रोक के बावजूद खनन गतिविधियां जारी

2014 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरणीय नुकसान और असुरक्षित खनन प्रथाओं के कारण मेघालय में कोयला खनन और परिवहन पर रोक लगा दी थी। खतरनाक खदानों और दूषित जल स्रोतों की खबरों ने इस प्रतिबंध को आवश्यक बना दिया था। हालांकि, इस वर्ष पूर्वी जयंतिया पहाड़ियों में वैज्ञानिक आधार पर कोयला खनन की शुरुआत हुई है।


अवैध खनन पर मंत्री की चुप्पी

मेघालय में अवैध कोयला खनन के आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं। जब इस मुद्दे पर मंत्री से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, 'ऐसे किसी भी दावे की पुष्टि के लिए कोई ठोस सबूत नहीं हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि कई विभाग इस पर निगरानी रखते हैं। हालांकि, उनका एक और विवादास्पद बयान सामने आया, 'मेरा मानना है कि यदि हमारे लोगों को जीवित रहना है तो वे इसे अवैध रूप से कर सकते हैं। अन्यथा कोई भी ऐसा कुछ नहीं करना चाहता जिससे राज्य को नुकसान पहुंचे।'