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Shashi Tharoor की चिंता: अमेरिका-भारत व्यापार विवाद में बढ़ती तनाव की स्थिति

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की घोषणा के बाद व्यापारिक तनाव बढ़ गया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस स्थिति को चिंताजनक बताया है और भारत को नए बाजारों की तलाश करने की सलाह दी है। जानें भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया और इस विवाद का राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव क्या हो सकता है।
 

अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का प्रभाव

Shashi Tharoor on Trump Tariff: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% अतिरिक्त आयात शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव और बढ़ गया है। इस निर्णय के बाद भारतीय वस्तुओं पर कुल टैरिफ 50% तक पहुंच जाएगा, जिससे राजनीतिक और कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि भारत को रूस से तेल खरीदना बंद करना चाहिए, लेकिन नई दिल्ली ने स्पष्ट किया है कि यह व्यापार जारी रहेगा.


शशि थरूर की चिंताएं

शशि थरूर बोले, हालात चिंताजनक


कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लंबे समय से टैरिफ विवाद को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति चिंताजनक है, खासकर इसलिए क्योंकि अमेरिका के साथ भारत के लंबे समय से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। थरूर ने कहा कि यदि किसी देश ने हमारे प्रति अपने व्यवहार में बदलाव किया है, तो हमें अपनी रणनीति और साझेदारियों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.


उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले एक-दो हफ्तों में वार्ता के माध्यम से कोई समाधान निकल सकता है, लेकिन साथ ही आगाह किया कि भारत को अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए नए बाजारों और वैकल्पिक साझेदारियों पर ध्यान देना चाहिए.


इससे पहले भी थरूर ने सुझाव दिया था कि भारत को अमेरिकी दबाव का जवाब अपने उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर देना चाहिए। उनके अनुसार, किसी भी देश को भारत को धमकाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि जब अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान 50% महंगे हो जाएंगे, तो वहां के खरीदारों की मांग प्रभावित होगी, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंध कमजोर हो सकते हैं.


भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया

भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया 


ट्रंप के फैसले पर भारत की आधिकारिक प्रतिक्रिया भी सख्त रही। विदेश मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय आर्थिक हितों की रक्षा के लिए सरकार सभी आवश्यक कदम उठाएगी। अधिकारियों के अनुसार, भारत अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ाने और नए निर्यात बाजार खोजने पर काम करेगा ताकि अमेरिकी टैरिफ से होने वाले नुकसान की भरपाई हो सके.


विशेषज्ञों का मानना है कि यह टकराव केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय में यह राजनीतिक और रणनीतिक साझेदारियों पर भी असर डाल सकता है। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर किसी बाहरी दबाव के आगे झुकेगा नहीं.