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अफगान विदेश मंत्री की भारत यात्रा: व्यापार और शिक्षा पर महत्वपूर्ण घोषणाएं

अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपने भारत दौरे के दौरान कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं। उन्होंने भारत के साथ व्यापार बढ़ाने, महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के बारे में जानकारी दी और पाकिस्तान के साथ संबंधों पर चर्चा की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। जानें, क्या-क्या कहा उन्होंने और भारत-अफगानिस्तान संबंधों में क्या नया है।
 

दिल्ली में अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस

नई दिल्ली: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अपने सात दिवसीय भारत दौरे के दौरान रविवार को दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस अवसर पर उन्होंने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिसमें महिलाओं की शिक्षा, पाकिस्तान और अमेरिका के प्रति तालिबान सरकार का रुख शामिल था। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।


मुत्ताकी ने बताया कि भारतीय विदेश मंत्री के साथ उनकी बैठक सकारात्मक रही। दोनों देशों ने अफगानिस्तान में रुके हुए विकास कार्यों को फिर से शुरू करने और अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने पर सहमति जताई। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही दिल्ली और काबुल के बीच सीधी उड़ानें शुरू की जाएंगी।


उन्होंने कहा, "भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक संयुक्त कमेटी का गठन किया जाएगा। हमने व्यापारियों और छात्रों के लिए वीजा सुविधाओं को बढ़ाने पर भी चर्चा की है।" इसके अलावा, उन्होंने भारत को कृषि समेत विभिन्न क्षेत्रों में निवेश का निमंत्रण दिया और अटारी-वाघा बॉर्डर को व्यापार के लिए खोलने का अनुरोध किया। साथ ही, भारत में हिरासत में लिए गए अफगान नागरिकों की रिहाई का मुद्दा भी उठाया, जिस पर भारतीय विदेश मंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया।


महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के संबंध में पूछे गए सवाल पर, विदेश मंत्री ने कहा, "अफगानिस्तान में इस समय 1 करोड़ छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं, जिनमें 28 लाख महिलाएं और लड़कियां शामिल हैं। हमने शिक्षा को धार्मिक रूप से 'हराम' नहीं घोषित किया है, लेकिन कुछ सीमाओं के कारण इसे अस्थायी रूप से स्थगित किया गया है।"


पाकिस्तान के साथ चल रहे संघर्ष पर उन्होंने कहा, "पाकिस्तान की जनता और सरकार में कई लोग शांति के पक्षधर हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं चाहते। हम अपनी सीमाओं की सुरक्षा करना जानते हैं। जब देश पर कोई संकट आता है, तो पूरी अफगान कौम और सरकार एकजुट हो जाती है।" उन्होंने अमेरिका और नाटो के साथ 20 साल के संघर्ष को आजादी की लड़ाई बताते हुए कहा कि अब अफगानिस्तान स्वतंत्र है और पिछले चार वर्षों से देश में शांति बनी हुई है।


पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर दुख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 40 साल के युद्ध में कई जानें गईं, लेकिन पिछले चार वर्षों में किसी पत्रकार के साथ ऐसी घटना नहीं हुई है और भविष्य में उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि अफगानिस्तान में इस्लामी शासन के तहत सभी के अधिकार सुरक्षित हैं और किसी पर कोई पाबंदी नहीं है।