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अमेरिका का भारत और चीन पर टैरिफ लगाने का दबाव

अमेरिका ने भारत और चीन पर टैरिफ लगाने के लिए यूरोपीय देशों से अपील की है, जिससे व्यापार वार्ता के दौरान तनाव बढ़ सकता है। वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा है कि अतिरिक्त टैरिफ तब तक नहीं लगाए जाएंगे जब तक यूरोपीय देश भी इसी तरह के कदम नहीं उठाते। यह कदम रूस से तेल खरीदने को लेकर उठाया गया है, जिसका उद्देश्य पुतिन को यूक्रेन में युद्ध जारी रखने से रोकना है। जानें इस मुद्दे की गहराई और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 

भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की मांग

नई दिल्ली। अमेरिका की टीम व्यापार वार्ता के लिए भारत पहुंची है, जबकि दूसरी ओर, अमेरिका यूरोपीय देशों पर दबाव बना रहा है कि वे भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लागू करें। इससे पहले, अमेरिका ने जी 7 देशों पर भी इसी तरह का दबाव डाला था। जी 7 देशों के वित्त मंत्रियों की हालिया बैठक में, अमेरिकी वित्त मंत्री ने उनसे भारत पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की बात की थी।


अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने यूरोपीय देशों से भारत और चीन पर 50 से 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की अपील की है। सोमवार को ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में, बेसेंट ने कहा कि अमेरिका तब तक अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाएगा जब तक यूरोपीय देश चीन और भारत पर भारी टैरिफ नहीं लगाते। उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को रूस की तेल आय को रोकने और यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी।


यह ध्यान देने योग्य है कि ट्रंप प्रशासन का मानना है कि भारत और चीन रूस से तेल खरीद रहे हैं, जिससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में सहायता मिल रही है। उनका यह भी मानना है कि भारत और चीन पर भारी टैरिफ लगाकर इन्हें रूसी तेल खरीदने से रोका जा सकता है। बेसेंट ने यह भी कहा कि अमेरिका यूरोपीय देशों के साथ मिलकर रूस की तेल कंपनियों जैसे रोसनेफ्ट और लुकोइल पर कठोर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है।