अमेरिका की नजरें भारत-पाकिस्तान पर: मार्को रुबियो का बयान
भारत-पाकिस्तान तनाव पर अमेरिका की स्थिति
भारत-पाकिस्तान तनाव: अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने बताया है कि अमेरिका हर दिन भारत और पाकिस्तान के बीच की स्थिति पर ध्यान दे रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका केवल दक्षिण एशिया पर नहीं, बल्कि कंबोडिया और थाईलैंड जैसे अन्य संवेदनशील क्षेत्रों पर भी नजर रखता है।
युद्धविराम पर अमेरिका का दृष्टिकोण
रुबियो ने वैश्विक संघर्षों पर चर्चा करते हुए कहा कि अमेरिका युद्धविराम की मांग करता है, लेकिन युद्ध की स्थिति में संवाद स्थापित करना बेहद कठिन हो जाता है। उन्होंने यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि युद्धविराम तभी संभव है जब दोनों पक्ष गोलीबारी रोकने पर सहमत हों, जबकि रूस अब तक इसके लिए तैयार नहीं हुआ है। उनका कहना था कि लंबे संघर्षों के बाद युद्धविराम बनाए रखना और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह आसानी से टूट सकता है।
शांति समझौते की आवश्यकता
अमेरिकी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि केवल अस्थायी युद्धविराम पर्याप्त नहीं है। इसके बजाय, एक ठोस और स्थायी शांति समझौते की आवश्यकता है, जो भविष्य के संघर्षों को रोक सके। उनके अनुसार, यह अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक है।
ट्रंप के दावे
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार कहा है कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कम करने में उनकी भूमिका रही है। उन्होंने विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर और पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच युद्धविराम का श्रेय खुद को दिया। हालांकि, भारत ने इन दावों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। नई दिल्ली का कहना है कि पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दे द्विपक्षीय स्तर पर ही सुलझाए जाते हैं और किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
संसद में प्रधानमंत्री मोदी का बयान
ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में हुई विशेष चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई आक्रामक नहीं थी और किसी भी विदेशी नेता ने भारत को अपनी प्रतिक्रिया रोकने के लिए नहीं कहा था। मोदी ने दोहराया कि भारत का हर कदम उसकी संप्रभुता और सुरक्षा को ध्यान में रखकर उठाया गया था।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर का रुख
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी ट्रंप के दावों को खारिज किया। उन्होंने कहा कि युद्धविराम का निर्णय पूरी तरह भारत का आंतरिक था और किसी बाहरी दबाव या हस्तक्षेप से इसका कोई संबंध नहीं था। जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि इस फैसले का व्यापारिक वार्ताओं से भी कोई संबंध नहीं था।
अमेरिका-रूस बैठक
मार्को रुबियो की टिप्पणी उस समय आई जब राष्ट्रपति ट्रंप ने अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की थी। यह बैठक फरवरी 2022 के बाद अमेरिका और रूस के बीच पहली उच्चस्तरीय वार्ता थी, जो लगभग तीन घंटे तक चली। ट्रंप और पुतिन ने इस विचार पर सहमति जताई कि शांति प्रक्रिया को युद्धविराम की पूर्व शर्त के बिना भी आगे बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, इस रुख को यूक्रेन और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने समर्थन नहीं दिया।