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अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध ठहराया, क्या होगी अगली कानूनी लड़ाई?

अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 'मुक्ति दिवस' शुल्क को अवैध ठहराया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप ने संविधान और संघीय कानून का उल्लंघन किया। इस फैसले के बाद बाजारों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई है। अब यह मामला फेडरल सर्किट कोर्ट और संभवतः सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है। जानें इस महत्वपूर्ण निर्णय के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
 

अमेरिकी व्यापार अदालत का महत्वपूर्ण फैसला

अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए 'मुक्ति दिवस' शुल्क को अवैध करार देते हुए इसे रोकने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि ट्रंप ने इस निर्णय में संविधान और संघीय कानून की सीमाओं का उल्लंघन किया। मैनहट्टन में स्थित इस तीन सदस्यीय पीठ ने स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय वाणिज्य को नियंत्रित करने का अधिकार केवल कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के पास।


ट्रंप प्रशासन का टैरिफ निर्णय

ट्रंप प्रशासन ने अप्रैल में सभी आयातों पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन शुल्क लगाया था, जबकि चीन जैसे देशों के लिए यह दर और भी अधिक थी। ट्रंप ने इस कदम को अंतर्राष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत सही ठहराया, जिसमें उन्होंने व्यापार घाटे को राष्ट्रीय आपातकाल बताया। हालांकि, अदालत ने कहा कि यह कानून राष्ट्रीय आपातकाल के नाम पर टैरिफ लगाने की अनुमति नहीं देता।


अदालत का निर्णय और उसके प्रभाव

संविधान के खिलाफ था यह प्रयोग


न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, 'यह प्रयोग अस्वीकार्य है, न केवल इसलिए कि यह नासमझी भरा है, बल्कि इसलिए कि संघीय कानून इसकी अनुमति नहीं देता।' यह निर्णय 13 राज्यों के एक गठबंधन और पांच छोटे अमेरिकी आयात व्यवसायों द्वारा दायर याचिका के जवाब में आया, जिसमें इस टैरिफ को 'गैरकानूनी, लापरवाह और आर्थिक रूप से विनाशकारी' बताया गया था।


न्याय विभाग की दलील को खारिज किया गया

न्याय विभाग की दलील खारिज


न्याय विभाग ने अदालत से अपील की थी कि मामला खारिज किया जाए क्योंकि वादी को कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं हुआ है। लेकिन अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि मामला कानूनी जांच के योग्य है।


बाजारों में सकारात्मक प्रतिक्रिया

बाज़ारों ने दिखाई राहत की प्रतिक्रिया


इस फैसले के बाद बाजारों में सकारात्मक संकेत देखे गए। स्विस फ्रैंक और जापानी येन जैसी सुरक्षित मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर में मजबूती आई। निवेशकों ने इस निर्णय को व्यापार स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना।


आगे की कानूनी लड़ाई

आगे क्या? सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है मामला


अब इस फैसले को वाशिंगटन डीसी स्थित फेडरल सर्किट कोर्ट और संभवतः सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। ट्रंप प्रशासन की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भविष्य में राष्ट्रपति की आर्थिक शक्तियों की सीमाओं को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण हो सकता है।