×

इंदिरा गांधी: खाद्य आत्मनिर्भरता की प्रेरणा

इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री काल भारत के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का गवाह रहा है। उनके नेतृत्व में भारत ने खाद्य आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिससे देश ने अनाज उत्पादन में रिकॉर्ड बनाया। जानें कैसे इंदिरा गांधी ने अपने साहसिक निर्णयों से भारत को आत्मनिर्भर बनाया और उनकी दूरदर्शिता ने उन्हें एक मजबूत नेता साबित किया।
 

इंदिरा गांधी का ऐतिहासिक योगदान


लेखक: अरविंद कुमार सिंह | इंदिरा गांधी का प्रधानमंत्री काल भारत के लिए कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों का गवाह रहा है। उनके नेतृत्व में भारत ने विज्ञान और तकनीकी में महत्वपूर्ण प्रगति की, जिससे यह तीसरा सबसे बड़ा मानव संसाधन केंद्र बना। इसके साथ ही, भारत ने परमाणु शक्ति और अंतरिक्ष में भी अपनी पहचान बनाई।


उनकी उपलब्धियों में पाकिस्तान के विभाजन से लेकर हरित और श्वेत क्रांति का आधार तैयार करना शामिल है। 1966 में जब वे प्रधानमंत्री बनीं, तो यह पद उन्हें आसानी से नहीं मिला।


अरविंद कुमार सिंह


उन्होंने 355 वोट प्राप्त कर संसदीय दल का नेतृत्व किया, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी मोरारजी देसाई को केवल 169 वोट मिले। इंदिरा गांधी को राजनीतिक हलकों में गूंगी गुड़िया कहा जाता था, लेकिन उन्होंने अपनी दूरदर्शिता और साहस से यह साबित किया कि वे एक मजबूत नेता हैं।


उनकी उपलब्धियों में बैंकों का राष्ट्रीयकरण, महाराजाओं के प्रिवीपर्स का अंत और 1974 में पोखरण में परमाणु परीक्षण शामिल हैं। 1983 में वे गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन की अध्यक्ष भी बनीं।


हालांकि, उनके राजनीतिक विरोधी उन्हें आपातकाल का प्रतीक मानते हैं, लेकिन वे स्वतंत्रता आंदोलन की उपज थीं। उन्होंने बाल चरखा संघ की स्थापना की और असहयोग आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई। 1959 में कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद, उन्होंने 1964 में राज्यसभा का सदस्य बनने का अवसर प्राप्त किया।


इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री काल में भारत ने खाद्य आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। 1970-71 में भारत ने 10.80 करोड़ टन अनाज उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया और विदेशों से अनाज मंगाना बंद कर दिया।


जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं, तब खाद्य संकट गंभीर था। 1964-65 में अनाज उत्पादन 8.9 करोड़ टन था, जो घटकर 7.2 करोड़ टन हो गया। इस कारण भारत को अनाज आयात करना पड़ा।


1967 में इंदिरा गांधी ने खाद्य आत्मनिर्भरता के लिए सभी प्रयास किए। उनके कार्यकाल में अनाज उत्पादन 8 करोड़ टन से बढ़कर 15 करोड़ टन हो गया। यह एक अद्भुत उपलब्धि थी।


उनके प्रयासों से भारत में गेहूं और धान की नई किस्मों का उत्पादन बढ़ा। 1963 में राष्ट्रीय बीज निगम की स्थापना हुई, और 1969 में राज्य फार्म निगम स्थापित किए गए।


आज भारत सरकार 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान कर रही है, जो इंदिरा गांधी की नीतियों का परिणाम है।


इंदिरा गांधी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए और सभी वर्गों के बीच लोकप्रिय रहीं। उनके योगदान को पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। यह उनके निजी विचार हैं।)