इजराइल-ईरान संघर्ष: मध्य पूर्व में बढ़ता तनाव और वैश्विक चिंताएं
इजराइल-ईरान संघर्ष
इजराइल-ईरान संघर्ष: मध्य पूर्व एक बार फिर युद्ध के कगार पर है, क्योंकि इजराइल ने ईरान के प्रमुख सैन्य और परमाणु स्थलों पर हमले किए हैं। इस कार्रवाई ने दोनों देशों के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है, जिससे वैश्विक समुदाय की नजरें इस क्षेत्र पर टिक गई हैं। इजराइल रक्षा बलों (आईडीएफ) ने अपने ऑपरेशन के "पहले चरण" की सफलता की पुष्टि की है, जिसमें इजराइली वायुसेना के कई जेट विमानों ने ईरान के महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया है।
हमलों का एक मुख्य लक्ष्य ईरान की नतान्ज़ परमाणु सुविधा थी, जहां हाल ही में विस्फोटों की सूचना मिली। इन विस्फोटों ने पहले से हुए नुकसान को और बढ़ा दिया, जिससे पूरी साइट धुएं में डूब गई। ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार, तेहरान के आवासीय क्षेत्रों में हुए हमलों में कई नागरिकों की जान गई है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। इस हमले में कम से कम 78 लोगों की मौत हो गई है और 329 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, ईरान के सेना प्रमुख और कई वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिकों के हताहत होने की भी खबरें आई हैं।
ईरान की प्रतिक्रिया: युद्ध की घोषणा के समान
ईरान ने इजराइल के इस हमले को "युद्ध की घोषणा के समान" बताया है। इसके जवाब में, तेहरान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है, जिसमें इजराइली हमलों और वरिष्ठ अधिकारियों की हत्या की निंदा की जाए। ईरान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई की अपील की है। देशभर में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। केरमानशाह, लोरेस्तान और तेहरान के कई हिस्सों में विस्फोटों की खबरें आई हैं। ईरानी सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है, और आपातकालीन सेवाएं युद्धस्तर पर काम कर रही हैं।
भारत की सलाह, अमेरिका की दूरी
इस बढ़ते तनाव के बीच भारत ने ईरान में रह रहे अपने नागरिकों के लिए यात्रा सलाह जारी की है। इसमें भारतीयों से सावधानी बरतने, अनावश्यक यात्रा से बचने और दूतावास से लगातार अपडेट लेने का आग्रह किया गया है। दूसरी ओर, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने स्पष्ट किया कि "इजरायली हमलों में अमेरिका की कोई संलिप्तता नहीं है," जिससे वाशिंगटन ने खुद को इस सैन्य कार्रवाई से अलग रखने की कोशिश की है।
वैश्विक चिंता और भविष्य की अनिश्चितता
इजराइल और ईरान के बीच यह ताजा संघर्ष मध्य पूर्व में स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। वैश्विक शक्तियां इस स्थिति पर करीबी नजर रख रही हैं, क्योंकि किसी भी गलत कदम से क्षेत्रीय युद्ध भड़क सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस संकट को हल करने के लिए तत्काल कूटनीतिक हस्तक्षेप की मांग की जा रही है।