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ईरान-इजरायल संघर्ष: भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी का प्रयास

ईरान-इजरायल संघर्ष के बीच, मोदी सरकार ने 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी का प्रयास किया है। दिल्ली की निवासी निदा और उनके पति ने अपनी भावनाएँ साझा की हैं, जिसमें शहादत का महत्व और ईरान की पवित्र भूमि पर मरने की इच्छा व्यक्त की गई है। जानें इस संघर्ष में भारतीयों की वापसी की कहानी और उनके अनुभव।
 

ईरान से लौटे भारतीयों की भावनाएँ

ईरान-इजरायल संघर्ष: ईरान से लौटे भारतीय नागरिक जहां सरकार और दूतावास के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि ईरान की भूमि पर शहीद होना अधिक सम्मानजनक होता। मोदी सरकार अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए 'ऑपरेशन सिंधु' चला रही है। इस बीच, कुछ व्यक्तियों का कहना है कि ईरान की पवित्र भूमि पर शहीद होने का समय आ गया है, और शहादत से बेहतर कोई मृत्यु नहीं है।


निदा के पति का बयान

दिल्ली की निवासी निदा के पति ने कहा कि उनकी पत्नी को रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि शहीद होकर इंसान अमर हो जाता है। उनका मानना है कि यहां आने से बेहतर होता कि उनकी पत्नी वहीं मरती। ईरान की धरती को पवित्र मानते हुए, उन्होंने कहा कि अब शहीद होने का समय आ गया है।


निदा की वापसी की कहानी

निदा ने बताया कि वह 3 जून को ईरान गई थीं और वहां उन्होंने सरकार से मदद मांगी। ईरान में नेटवर्क की समस्या के कारण वह किसी से संपर्क नहीं कर पा रही थीं। भारत लौटने के बाद, उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया। निदा ने कहा कि केवल बॉर्डर पर कुछ समस्याएँ थीं, लेकिन वे सुरक्षित लौट आईं।


शहादत का महत्व

निदा के पति ने कहा कि ईरान में शांति थी, लेकिन कनेक्टिविटी की कमी थी। उन्होंने कहा कि हमारे सुप्रीम लीडर ने कहा है कि शहादत से बेहतर कुछ नहीं है। जब समय आएगा, तो वे भी हिंदुस्तान के लिए शहीद होने को तैयार हैं।