ईरान के परमाणु हथियारों पर ट्रंप का विवादास्पद दावा
ट्रंप का दावा और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक विवादास्पद बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ईरान के पास अब कोई परमाणु हथियार नहीं हैं। यह बयान उस समय आया है जब ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वैश्विक चिंताएँ बढ़ रही हैं। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा है कि ईरान वास्तव में परमाणु हथियार हासिल करने के करीब है।ट्रंप का तर्क है कि 2015 के ईरान परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर निकलने और ईरान पर अधिकतम दबाव की नीति अपनाने के कारण ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएँ कमजोर हुई हैं। उनका कहना है कि उनकी प्रशासन की कड़ी नीतियों ने ईरान की परमाणु क्षमताओं को प्रभावी रूप से समाप्त कर दिया है।
हालांकि, परमाणु प्रसार के विशेषज्ञ ट्रंप के इस दावे से असहमत हैं। उनका मानना है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा समझौते से हटने के बाद, ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को तेजी से बढ़ाया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान ने 60% शुद्धता तक यूरेनियम का संवर्धन करना शुरू कर दिया है, जो हथियार-ग्रेड के करीब है। 2015 के समझौते के तहत, उसे केवल 3.67% तक संवर्धन की अनुमति थी।
इसके अलावा, ईरान ने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के निरीक्षकों की पहुँच को सीमित कर दिया है, जिससे उसके परमाणु स्थलों पर पारदर्शिता कम हो गई है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ईरान के पास अब एक परमाणु बम बनाने के लिए आवश्यक सामग्री प्राप्त करने का समय बहुत कम हो गया है।
इस स्थिति ने ईरान के परमाणु भविष्य को लेकर गहरी अनिश्चितता पैदा कर दी है। ट्रंप अपने दावों का उपयोग अमेरिकी शक्ति को बढ़ावा देने के लिए कर रहे हैं, जबकि विशेषज्ञ एक संभावित परमाणु हथियार दौड़ और मध्य पूर्व में अस्थिरता के बारे में चिंतित हैं।