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उत्तर प्रदेश में CMO ट्रांसफर में बड़ा खेल: मुकेश श्रीवास्तव और अंकित चौधरी का हाथ

उत्तर प्रदेश में CMO ट्रांसफर के मामले में मुकेश श्रीवास्तव और अंकित चौधरी की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में हुए ट्रांसफर में कई नामों में बदलाव किया गया है, जो NRHM के आरोपियों के करीबी हैं। इस खेल का पर्दाफाश करते हुए, यह स्पष्ट होता है कि स्वास्थ्य विभाग में इनका प्रभाव लंबे समय से बना हुआ है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

उत्तर प्रदेश में CMO ट्रांसफर का रहस्य

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में CMO के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामले में एक बड़ा खेल सामने आया है। NRHM के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उनके सहयोगी अंकित चौधरी इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 3 सितंबर को, पर्दाफाश ने पहले ही 6 जिलों में CMO के नामों का खुलासा कर दिया था। इसके बाद, इन दोनों ने दो जिलों में CMO के नाम बदल दिए, जबकि एटा, कुशीनगर, आजमगढ़ और हरदोई में हमारे द्वारा बताए गए डॉक्टरों को ही तैनात किया गया है। रामपुर और मथुरा में भी नामों में बदलाव किया गया है। ये सभी डॉक्टर NRHM के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और अंकित चौधरी के करीबी हैं। इनकी तैनाती के पीछे एक बड़ी डील भी हुई है।


वास्तव में, उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में NRHM के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव का प्रभाव बसपा सरकार के समय से ही बना हुआ है। मुकेश CMO के ट्रांसफर से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अन्य कार्यों में भी सक्रिय है। पिछले डेढ़ दशक से, इसका स्वास्थ्य विभाग में एकाधिकार बना हुआ है। कुछ अधिकारी लगातार इसकी सहायता करते हैं, जिससे वह अपने लक्ष्यों को हासिल कर लेता है। अपने करीबी डॉक्टरों को CMO बनवाने के बाद, वह उनसे बड़े काम करवाता है। इसके अलावा, उन जिलों में अधिकांश कार्य उसकी कंपनी और उसके करीबी लोगों को ही मिलते हैं। NRHM के आरोपी के इस प्रभाव को न तो यूपी स्वास्थ्य मंत्री तोड़ पा रहे हैं और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय। उनका राज स्वास्थ्य विभाग में लंबे समय से कायम है और जो वे चाहते हैं, वही स्वास्थ्य विभाग में होता है।


NRHM के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उनका साथी अंकित चौधरी


शिकायतों के बावजूद मुकेश का प्रभाव कायम
ऐसा नहीं है कि मुकेश श्रीवास्तव, अंकित चौधरी और उनके अन्य सहयोगियों की शिकायतें नहीं हुई हैं। उनके खिलाफ लगातार शिकायतें आती रहती हैं, फिर भी वे स्वास्थ्य विभाग में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मुकेश अब अपने करीबी लोगों के फर्म पर ठेका-टेंडर लेने का काम शुरू कर चुका है, जिसके बदले में वह उन्हें लाभ का कुछ प्रतिशत भी देता है।