उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि पट्टे के नियमों में बदलाव की तैयारी
उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि पट्टे के नियमों में बदलाव
उत्तर प्रदेश समाचार: उत्तर प्रदेश सरकार कृषि भूमि के पट्टे से संबंधित नियमों में संशोधन करने की योजना बना रही है। नए नियमों के अनुसार, जिन किसानों के पास केवल एक एकड़ भूमि होगी, उन्हें कृषि भूमि का पट्टा नहीं दिया जाएगा। इसके लिए सरकार राजस्व संहिता-2006 में संशोधन करने जा रही है। यह बदलाव भूमिहीन किसानों को प्राथमिकता देने और कृषि भूमि के पट्टों के वितरण को अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।
भूमि की कमी के कारण लिया गया निर्णय
उत्तर प्रदेश में कृषि भूमि पट्टे के नियमों में बदलाव की योजना बनाई जा रही है। अब किसी व्यक्ति को एक एकड़ कृषि भूमि का पट्टा नहीं मिलेगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार राजस्व संहिता-2006 में संशोधन करेगी। यह निर्णय उच्च स्तर पर सहमति के बाद लिया गया है। वर्तमान में, एक व्यक्ति को 3.113 एकड़ तक का पट्टा मिल सकता है, जिसमें उनकी पहले से मौजूद भूमि भी शामिल है। दरअसल, भूमि की कमी को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
भूमिहीनों को पट्टे पर भूमि देने की अनुमति
राजस्व संहिता की धारा 125 भूमिहीनों को पट्टे पर भूमि आवंटित करने की अनुमति देती है। पट्टाधारक को 1.26 हेक्टेयर या 3.113 एकड़ तक भूमि मिल सकती है। नियम के अनुसार, भूमि आवंटन में पहले से मौजूद भूमि भी शामिल होती है। यही कारण है कि अधिक भूमि का पट्टा नहीं दिया जाएगा। राजस्व परिषद ने कृषि भूमि के पट्टे के संबंध में शासन को प्रस्ताव भेजा है।
पट्टे की कुल भूमि एक एकड़ होगी
राजस्व परिषद की नई व्यवस्था के अनुसार, पट्टे की कुल भूमि एक एकड़ होगी। भूमिहीन व्यक्ति को कम से कम एक एकड़ भूमि दी जा सकती है। पट्टाधारक अपनी भूमि को किसी अन्य को बेच नहीं सकता क्योंकि पट्टा असंक्रमणीय है। भूमि आवंटन के पांच वर्ष बाद, पट्टाधारक को संक्रमणीय भूमिधर अधिकार प्राप्त होता है, जिसके बाद उसे भूमि बेचने का अधिकार मिलता है।