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उत्तर प्रदेश में सड़क सुरक्षा के लिए AI और बिग डेटा का नया प्रयोग

उत्तर प्रदेश जल्द ही देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां सड़क दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान और रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाएगा। इस नई योजना के तहत, सड़क परिवहन विभाग ने एक पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है, जिसका उद्देश्य सड़क हादसों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह परियोजना शुरू की जा रही है, जिसमें ITI लिमिटेड और एमलोजिका जैसी कंपनियां शामिल हैं। जानें इस तकनीक के माध्यम से सड़क सुरक्षा में सुधार कैसे किया जाएगा।
 

AI और बिग डेटा का उपयोग सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम में

उत्तर प्रदेश जल्द ही देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जहां सड़क दुर्घटनाओं के वास्तविक कारणों की पहचान और रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाएगा। राज्य परिवहन विभाग ने इस तकनीक पर आधारित एक पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी है, जिसे सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से भी स्वीकृति प्राप्त हो गई है। अब इस परियोजना का परीक्षण प्रारंभ किया जाएगा।


सड़क हादसों की बढ़ती संख्या

उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वर्ष 2024 के पहले छह महीनों में राज्य में 25,830 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 14,205 लोगों की जान गई। इन दुर्घटनाओं के पीछे खराब सड़क डिजाइन, मौसम की स्थितियां और चालक की लापरवाही जैसे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अब तक इनका गहन विश्लेषण नहीं किया गया है।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गंभीर स्थिति पर कई बार चिंता व्यक्त की है। उनके निर्देश पर परिवहन विभाग ने AI तकनीक के माध्यम से हादसों के कारणों की जांच और रोकथाम के लिए यह योजना बनाई है। इस परियोजना को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ITI लिमिटेड और अंतरराष्ट्रीय तकनीकी साझेदार एमलोजिका मिलकर लागू करेंगे। इसके लिए 10 करोड़ रुपये का बजट पहले ही स्वीकृत किया जा चुका है।


दुर्घटनाओं का तकनीकी विश्लेषण

प्रारंभिक चरण में छह सप्ताह के भीतर एक 'प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट' तैयार किया जाएगा, जिसमें दुर्घटनाओं से संबंधित डेटा एकत्र कर विश्लेषणात्मक रिपोर्ट बनाई जाएगी। यह रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी जाएगी। रिपोर्ट में प्रत्येक दुर्घटना का तकनीकी विश्लेषण कर AI मॉडल विकसित किया जाएगा, जो भविष्य में ब्लैक स्पॉट की पहचान में सहायक होगा।


इस तकनीक का उपयोग भविष्य में ड्राइविंग लाइसेंस प्रणाली, परमिट प्रक्रिया, ई-चालान और वाहन डेटा प्रबंधन जैसे अन्य क्षेत्रों में भी किया जाएगा। पूर्व अपर आयुक्त पुष्पसेन सत्यार्थी के अनुसार, अब तक पुलिस अधिकारियों द्वारा दी गई मैनुअल रिपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे दुर्घटनाओं के असली कारण स्पष्ट नहीं हो पाते थे।


उत्तर प्रदेश के 17 शहरों में पहले से मौजूद इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (ITMS) में इस तकनीक को एकीकृत किया जाएगा। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने कहा कि AI तकनीक से दुर्घटनाओं के असली कारणों की पहचान कर प्रभावी नियंत्रण संभव होगा, जिससे सड़कों को अधिक सुरक्षित बनाया जा सकेगा।