×

उत्तर प्रदेश सूचना विभाग में पत्रकारों की कमी और फाइलों का अंडा देने का खेल

उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में पत्रकारों की कमी और फाइलों के अंडा देने की प्रक्रिया ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। अब यह विभाग पत्रकारों का मक्का-मदीना नहीं रहा। जानें कैसे यहां की स्थिति ने एक फिल्म के सेट जैसा रूप ले लिया है और लोग किस तरह से फाइलों के लिए चक्कर काट रहे हैं। क्या इस विभाग में सुधार होगा? पढ़ें पूरी कहानी।
 

सूचना विभाग की स्थिति

(पवन सिंह) उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से अब 'जनसंपर्क' का नामोनिशान मिट चुका है। यहां पत्रकारों और गैर-पत्रकारों की भीड़ अब लगभग गायब हो चुकी है। यह विभाग, जिसे पत्रकारों का मक्का-मदीना माना जाता था, अब अपनी पहचान खोता जा रहा है। विभाग की स्थिति अब 'रामसे ब्रदर्स' की फिल्म के सेट जैसी हो गई है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यहां कोई फिल्म बनने वाली है, जिसका शीर्षक हो 'मीडिया का कब्रिस्तान' या 'अक्षरों का श्मशान'।


इसका एक कारण यह है कि छोटे और मझोले अखबारों को अब कोई विशेष सुविधा नहीं मिल रही है। प्रेस आतिथ्य के नाम पर गाड़ी-घोड़ा भी मिलना बंद हो चुका है। इसके अलावा, फाइलों को रखकर अंडा देने की परंपरा भी शुरू हो गई है। जैसे मुर्गी अंडों को गर्मी देती है, ठीक उसी तरह यहां के बाबू फाइलों पर बैठकर उन्हें गर्म कर रहे हैं। ये बाबू फाइलों को पलटते रहते हैं और उन्हें 'विनोदात्मक' अंदाज में संबंधित सेक्शन में भेजते हैं।


इस प्रक्रिया में फाइलें हफ्तों तक 'अंडा सेल' में पड़ी रहती हैं। लोग नगर निगम और विकास प्राधिकरणों के गलियारों में घूमते रहते हैं, लेकिन फाइलों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता। अब तो माध्यमिक शिक्षा विभाग से लेकर सूचना विभाग के बीच चक्कर लगाने वाले 'कालू' ने भी 'जनसंपर्क' करना बंद कर दिया है। वह अब रोज़ 'पाल होटल' या 'बैंक ऑफ बड़ौदा' की ओर जाने लगा है।


तो भाई लोगों, आराम से फाइलों पर बैठकर अंडे गर्म करते रहिए, चूज़े 2027 में निकल आएंगे!