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उत्तरकाशी में खीरगंगा का रौद्र रूप: निर्माण ने बदला नदी का रास्ता

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने से हुई तबाही ने सभी को हिला दिया। खीरगंगा नदी का मलबा रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ा, लेकिन असलियत यह है कि इंसानी निर्माण ने नदी के पारंपरिक मार्ग को बदल दिया था। जानिए इस आपदा के पीछे की सच्चाई और कैसे पहले भी खीरगंगा ने चेतावनी दी थी।
 

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना

Uttarkashi Cloudburst: उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को बादल फटने से जो तबाही हुई, उसने देशवासियों को हिला कर रख दिया। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें खीरगंगा नदी का मलबा तेज बहाव में रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ते हुए दिखाया गया। इस घटना में कई लॉज, होटल और बाजार बह गए। लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है।


नदी का पारंपरिक मार्ग

वास्तव में, पानी का तेज बहाव रिहायशी क्षेत्रों में नहीं आया था। नदी के मार्ग में इंसानों द्वारा किए गए निर्माण ने स्थिति को बदला। खीरगंगा का पारंपरिक रास्ता वही है, जिसे अब इंसानी गतिविधियों ने प्रभावित किया है। जब नदी का जल स्तर कम था, तब किनारे पर निर्माण कार्य शुरू हो गया, जिससे नदी का मार्ग उत्तर दिशा की ओर मुड़ गया। जब नदी ने अपना रौद्र रूप धारण किया, तो उसने अपने पारंपरिक मार्ग से ही बहाव किया, जिससे तबाही हुई और कई होटल और रेस्टोरेंट बह गए।


कृषि भूमि का इतिहास

पहले आपदा वाली जगह थी कृषि भूमि


प्रो. डीडी चौनियाल के अनुसार, जहां तबाही हुई, वह पहले कृषि भूमि थी। आज भी वहां सेब के बाग हैं। पहले नदी सीधे भागीरथी में मिलती थी, लेकिन निर्माण के कारण नदी का मार्ग बदल गया। हिमालय में ऐसी आपदाएं अक्सर होती हैं। 5 अगस्त को खीरगंगा ने अपने पुराने मार्ग पर बहकर तबाही मचाई।


पानी का अचानक बढ़ना

अचानक कहां से आया इतना पानी?


प्रो. बताते हैं कि खीरगंगा के उद्गम स्थल पर कई तालाब हैं। लगातार बारिश से ये तालाब भर गए होंगे। संभवतः ऊपर के किसी तालाब के टूटने से पानी नीचे के तालाब में आया, जिससे वह भी टूट गया। इस प्रकार, तालाबों का पानी एकत्र होकर तेज बहाव में बदल गया। नदी का पानी ऊंचाई से गिरने के कारण उसकी रफ्तार तेज हो गई, जिससे धराली में तबाही मच गई।


धराली गांव में नुकसान

असली गांव में नहीं हुआ ज्यादा नुकसान


धराली गांव खीरगंगा और भागीरथी के संगम पर स्थित है और यह आपदाओं का सामना करने में सक्षम है। आपदा का मुख्य केंद्र बाजार था, जहां बाद में बनाए गए होटल और दुकानें थीं। धराली गांव में नुकसान बहुत कम हुआ है।


पुनरावृत्ति की चेतावनी

कई बार खीरगंगा दे चुकी थी चेतावनी


धराली में यह पहली बार नहीं हुआ है। 6 अगस्त 1978 को भी बड़ी आपदा आई थी, जिसमें केवल जंगल को नुकसान हुआ था। 2017 में भी तेज बहाव ने दुकानों और होटलों में मलबा भर दिया था। 2023 में भी छोटी आपदा आई थी, लेकिन प्रशासन ने निर्माण पर ध्यान नहीं दिया। 5 अगस्त को इसका परिणाम सभी ने देखा।