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उत्तरकाशी में धराली आपदा: लापता लोगों की संख्या बढ़कर 42 हुई

उत्तरकाशी के धराली में आई आपदा ने क्षेत्र में गहरा शोक फैला दिया है। एक सप्ताह बाद भी मलबे में दबे लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है, और लापता लोगों की संख्या 42 तक पहुंच गई है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन कठिन परिस्थितियों के चलते चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं। इस आपदा में कई मजदूर और पर्यटक भी प्रभावित हुए हैं। जानें इस संकट की पूरी कहानी और लापता लोगों की खोज के प्रयासों के बारे में।
 

धराली आपदा का प्रभाव

उत्तरकाशी की धराली में आई आपदा ने क्षेत्र में गहरा शोक फैला दिया है। एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी मलबे में दबे लोगों का कोई सुराग नहीं मिला है। प्रारंभिक रिपोर्ट में 15 लापता व्यक्तियों का जिक्र किया गया था, लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 42 हो गई है। आपदा के कारण लगभग 40 होटल, होमस्टे और रिजॉर्ट भी नष्ट हो गए हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन कठिन परिस्थितियों के चलते चुनौतियाँ बढ़ती जा रही हैं।


लापता लोगों की खोज

धराली बाजार में तबाही के एक हफ्ते बाद भी मलबा हटाने और लापता व्यक्तियों की खोज का कार्य निरंतर चल रहा है। सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर सक्रिय हैं। प्रशासन के अनुसार, लापता 42 लोगों में नौ सेना के जवान, धराली के आठ निवासी, नजदीकी गांवों के पांच लोग, टिहरी जिले का एक व्यक्ति, बिहार के 13 और उत्तर प्रदेश के छह लोग शामिल हैं। इसके अलावा, नेपाल के 29 मजदूर भी लापता हैं, जिनमें से पांच से संपर्क हो चुका है, जबकि 24 का कोई पता नहीं है।


लापता सूची में बच्चे भी शामिल

आपदा क्षेत्र में पुलिस हेल्प डेस्क ने लापता लोगों की सूची तैयार की है, जिसमें 73 नाम शामिल हैं। इनमें एक चार वर्षीय बच्चा और नेपाल का 18 वर्षीय किशोर भी शामिल है। पहले दिन के अनुमान में भी लगभग 70 लोगों के लापता होने की संभावना जताई गई थी, जो अब प्रशासनिक आंकड़ों से मेल खाती है। धराली के कई परिवार अपने प्रियजनों की खोज में हर संभव प्रयास कर रहे हैं।


मजदूरों और पर्यटकों की स्थिति

धराली के ग्राम प्रधान अजय नेगी ने बताया कि आपदा के समय इलाके में बिहार और नेपाल के मजदूर बड़ी संख्या में मौजूद थे। इनमें से कई लोग कल्प केदार मंदिर निर्माण और अन्य परियोजनाओं में कार्यरत थे। कई मजदूर अस्थायी ठिकानों या कमरों में रह रहे थे, जबकि होटलों में भी बड़ी संख्या में पर्यटक ठहरे हुए थे। इस कारण लापता लोगों की संख्या में वृद्धि की संभावना है।


परिजनों की खोज

आपदा के बाद दूर-दराज से लोग धराली पहुंचकर अपने गुमशुदा परिजनों की तलाश कर रहे हैं। उदयपुर की कृतिका जैन 5 अगस्त की सुबह तक अपने परिवार से संपर्क में थीं, लेकिन दोपहर बाद उनका फोन बंद हो गया। बिजनौर के योगेश, जो तीन महीने से धराली में वेल्डिंग का काम कर रहे थे, का भी कोई अता-पता नहीं है। उनके पिता लेखराज बेटे की खोज में खुद उत्तरकाशी पहुंचे हैं।