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उत्तरकाशी में प्राकृतिक आपदा: धराली गांव में आई बाढ़ ने मचाई तबाही

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में आई बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। शनिवार को बादल फटने के कारण आई बाढ़ ने गांव को महज 58 सेकंड में निगल लिया। इस त्रासदी में चार लोगों की मौत हो चुकी है और कई लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन मलबे के नीचे दबे लोगों की तलाश जारी है। प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है। जानें इस घटना के बारे में और क्या चुनौतियाँ सामने आ रही हैं।
 

उत्तरकाशी में आई बाढ़ का कहर

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में हाल ही में आई प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। शनिवार को दोपहर लगभग 1:30 बजे खीरगंगा नदी के ऊपरी हिस्से में बादल फटने से आई बाढ़ ने महज 58 सेकंड में गांव को निगल लिया। इस त्रासदी में चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई लोग अब भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन गांव में बर्बादी के जो निशान हैं, वे इस विनाश की भयावहता को दर्शाते हैं.


58 सेकंड में गांव का सफाया

धराली गांव में अचानक बादल फटने के बाद खीरगंगा नदी में आई बाढ़ ने बिजली की गति से गांव की ओर बढ़ना शुरू किया। लोगों को समझने का मौका नहीं मिला और न ही जान बचाने का। कुछ ही क्षणों में पूरा गांव मलबे में तब्दील हो गया। स्थानीय निवासियों के अनुसार, "बहाव इतना तेज था कि कोई भी भाग नहीं सका, सब कुछ देखते ही देखते बह गया।"


भयानक दृश्य

आपदा के समय का वीडियो और चश्मदीदों की गवाही रोंगटे खड़े कर देने वाली है। "अरे भागो, अरे भाई, भयंकर तबाही" जैसी चीखें हादसे की गंभीरता को दर्शाती हैं। खीरगंगा नदी से आया मलबा धराली के बाजार, होटल और घरों को तिनके की तरह बहा ले गया। कुछ महिलाएं अपने रिश्तेदारों को फोन कर अलर्ट करने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन नेटवर्क और समय दोनों ने साथ नहीं दिया।


प्रशासन की तत्परता

घटना की सूचना मिलते ही सेना की टुकड़ी 10 मिनट के भीतर मौके पर पहुंच गई। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ने तेजी से राहत-बचाव अभियान शुरू कर दिया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति की निगरानी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को अपडेट दिया। केंद्र सरकार ने हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है।


चश्मदीदों की गवाही

घटनास्थल पर मौजूद कई लोगों ने बताया कि "इतनी तबाही पहले कभी नहीं देखी।" एक चश्मदीद ने कहा, "बहुत लोग मर गए भाई... भाग नहीं पाए, कोई नहीं बच पाया।" प्रशासन ने अब तक 130 लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया है, लेकिन मलबे के नीचे कितने लोग दबे हैं, इसका अंदाजा अभी नहीं लगाया जा सका है।


धराली गांव की स्थिति

धराली गांव में अब केवल तबाही के निशान बचे हैं। पहाड़ से आए मलबे ने गांव को दो हिस्सों में बांट दिया है। भारी मलबे के नीचे कई मकान ऐसे हैं जिनका अब कोई नामोनिशान नहीं बचा। सैलाब की तीव्रता इतनी अधिक थी कि खीरगंगा नदी का पानी सीधे भागीरथी नदी में जाकर मिला, लेकिन बीच में उसने जो प्रलय मचाई, वो किसी काली रात से कम नहीं थी।


भविष्य की चुनौतियाँ

हालांकि प्रशासन की टीमें लगातार राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं, लेकिन खराब मौसम और मलबे की अधिकता के चलते रेस्क्यू में दिक्कतें आ रही हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर समय रहते चेतावनी मिल जाती, तो कई जिंदगियां बचाई जा सकती थीं। अब प्राथमिकता लापता लोगों की तलाश और बेघर हुए ग्रामीणों को राहत पहुंचाने की है।