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उत्तरकाशी में बाढ़ के बाद भागीरथी नदी की झील का संकट

उत्तरकाशी में 5 अगस्त को आई बाढ़ ने खीरगंगा का नक्शा बदल दिया और भागीरथी नदी में एक खतरनाक झील का निर्माण कर दिया। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन कई लोग लापता हैं। झील से तत्काल खतरा नहीं है, लेकिन जल निकासी के प्रयास जारी हैं। जानें इस संकट की पूरी जानकारी और प्रशासन की कार्रवाई के बारे में।
 

धाराली त्रासदी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को आई अचानक बाढ़ ने खीरगंगा (खीर गाड़) का स्वरूप बदल दिया है, साथ ही हर्षिल क्षेत्र में एक नई समस्या उत्पन्न कर दी है। बाढ़ के कारण नदी के साथ-साथ आस-पास के क्षेत्रों में भूस्खलन ने भागीरथी नदी में एक खतरनाक झील का निर्माण कर दिया है, जो अब स्थानीय प्रशासन और निवासियों के लिए चिंता का विषय बन गई है।


तेलू गाड़ नदी का उफान

खीर गंगा के साथ-साथ तेलू गाड़ नदी भी उफान पर थी, जिससे वहां स्थित आर्मी कैंप को नुकसान पहुंचा। प्रशासन ने बाढ़ के बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए राहत कार्य शुरू कर दिया है, लेकिन इस आपदा के कारण कई लोग लापता हो गए हैं।


भागीरथी नदी की झील

हालांकि राहत की बात यह है कि हर्षिल में भागीरथी नदी पर बनी झील से तत्काल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि पानी का रिसाव लगातार जारी है। सिंचाई विभाग और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड इस झील को नियंत्रित करने के लिए प्रयासरत हैं। वर्तमान में, सड़क मार्ग पर पुनर्निर्माण कार्य जारी है, जिसके कारण झील को मैन्युअल रूप से खोला जा रहा है।


जल निकासी के प्रयास

उत्तरकाशी के हर्षिल में भागीरथी नदी पर बने संकटपूर्ण झील से पानी निकालने के लिए प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी है। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता सुभाष चंद्र ने बताया कि 5 अगस्त को नदी में मलबा आने के बाद यह झील बनी थी। 7 अगस्त को निरीक्षण के बाद पता चला कि सड़क मार्ग बंद होने के कारण झील को मशीनी तरीके से नहीं खोला जा सका। अब इसे मैन्युअल रूप से खोला जा रहा है, जिसके लिए हेलिकॉप्टर से 20 मजदूर और कई इंजीनियर भेजे गए हैं।


मशीनों से जल निकासी

सुभाष चंद्र ने कहा कि लिंचागाड़ में बेली ब्रिज तैयार होने के बाद सड़क निर्माण की प्रक्रिया जल्द ही पूरी हो जाएगी, और फिर चार पोकलैंड मशीनों से झील का पानी सुरक्षित तरीके से बाहर निकाला जाएगा। फिलहाल, टीम मैन्युअली इस झील के मुहाने को चौड़ा करने की कोशिश कर रही है ताकि पानी को बाईं तरफ की सड़क से बाहर निकाला जा सके।


प्रशासन की राहत की खबर

सुभाष चंद्र ने मीडिया में फैली उन अटकलों को खारिज किया, जिनमें कहा जा रहा था कि यह झील हर्षिल को खतरे में डाल सकती है। उनका कहना है कि झील के दाईं ओर से पानी का रिसाव हो रहा है और इसका स्तर वही है जो 5 अगस्त को था। झील का आकार लगभग 1.3 किलोमीटर लंबा और 75-80 मीटर चौड़ा है, लेकिन इसका लगातार बढ़ने का दावा गलत है।


सुरक्षा पर ध्यान

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस झील को खोलने में लगे मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सभी सुरक्षा इंतजामों के बाद ही काम आगे बढ़ाया जा रहा है ताकि कोई अप्रत्याशित हादसा न हो। झील को खोलने की प्रक्रिया धीरे-धीरे सही दिशा में बढ़ रही है और प्रशासन पूरी कोशिश कर रहा है कि किसी भी संभावित खतरे से पहले इस झील से पानी को सुरक्षित तरीके से निकाल लिया जाए।