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उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद राहत कार्य तेज़ी से जारी

उत्तरकाशी के धराली-हरसिल क्षेत्र में 5 अगस्त को बादल फटने के बाद राहत कार्यों में तेजी आई है। प्रशासन और सेना ने मिलकर प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य शुरू कर दिए हैं। हेलीकॉप्टरों का उपयोग किया जा रहा है, जबकि ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जमीनी स्तर पर 815 से अधिक कर्मचारी और जवान राहत कार्य में जुटे हैं। जानें इस आपदा के बारे में और राहत कार्यों की स्थिति के बारे में अधिक जानकारी।
 

उत्तरकाशी में आपदा के बाद राहत कार्य

उत्तरकाशी में बादल फटने की घटना: 5 अगस्त को उत्तरकाशी के धराली-हरसिल क्षेत्र में आई भीषण आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं। खीरगंगा में बादल फटने और मलबा गिरने से क्षेत्र में व्यापक तबाही हुई, जिसके बाद प्रशासन और सेना ने तुरंत कार्रवाई की। राहत कार्यों में किसी भी प्रकार की बाधा से बचने के लिए प्रभावित क्षेत्रों में ड्रोन उड़ाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।


हेलीकॉप्टरों से राहत कार्य जारी: उत्तरकाशी, धराली, हर्षिल, मातली और चिन्यालीसौड़ जैसे प्रभावित क्षेत्रों में हेलीकॉप्टरों के माध्यम से राहत कार्य किए जा रहे हैं। हेलीकॉप्टरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ड्रोन उड़ाने पर रोक लगाई गई है। इस अभियान में सेना के दो चिनूक और दो एमआई-17 हेलीकॉप्टरों के साथ-साथ यूकाडा के 8 हेलीकॉप्टर शामिल हैं। सड़क मार्ग बाधित होने के कारण हवाई मार्ग ही राहत कार्यों का मुख्य आधार बना हुआ है।


जमीनी स्तर पर राहत अभियान: जमीनी स्तर पर राहत कार्यों में कुल 815 कर्मचारी और जवान तैनात हैं। इसमें स्थानीय पुलिस के 25 लोग, राजपूताना राइफल्स के 150 जवान, सेना की विशेष टीम के 12 जवान, विशेष बल के 10 जवान, बीएजी रुड़की के 30 जवान, आईटीबीपी के 250 जवान, एनडीआरएफ के 113 जवान, एसडीआरएफ के 33 जवान, मेडिकल और अग्निशमन विभाग के कर्मचारी, और अन्य विभागों के कर्मी शामिल हैं। केनाइन डॉग्स भी मलबे में फंसे लोगों की खोज में सहायता कर रहे हैं।


आपदा का समय: 5 अगस्त को दोपहर करीब 1:30 बजे खीरगंगा में अचानक पानी और मलबे का सैलाब आया, जिसने धराली के बाजार को पलभर में मलबे में बदल दिया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, "पानी का सैलाब और मलबा इतनी तेजी से नीचे आया था कि लोगों को भागने का मौका नहीं मिला।" इस आपदा ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी।