उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चुनावों की पारदर्शिता पर जोर दिया
चुनावों की अहमियत पर हाई कोर्ट की टिप्पणी
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हाल ही में यह स्पष्ट किया कि चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं और हर एक वोट का महत्व है। न्यायालय ने यह भी बताया कि चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाना चाहिए। यह टिप्पणी जस्टिस रवीन्द्र मैथानी की पीठ ने पुष्पा नेगी द्वारा दायर एक रिट याचिका की सुनवाई के दौरान की। याचिका में नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष के आगामी चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से कराने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी.
याचिका का आधार और मांग
पुष्पा नेगी ने अपनी याचिका में चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने अदालत को बताया कि इस संबंध में उन्होंने 6 अगस्त 2025 को राज्य चुनाव आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त को एक विस्तृत अभ्यावेदन सौंपा था। नेगी ने उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं.
राज्य और चुनाव आयोग का आश्वासन
राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को आश्वासन दिया कि नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव पूरी तरह स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाएगा। इन आश्वासनों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय ने कहा, “इसमें कोई संदेह नहीं कि चुनाव लोकतंत्र की जीवनरेखा हैं। हर वोट मायने रखता है। चुनाव निश्चित रूप से स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से कराए जाने चाहिए.
जानिए उत्तराखंड HC का क्या रहा फैसला!
राज्य और चुनाव आयोग द्वारा दिए गए स्पष्ट आश्वासनों को देखते हुए उच्च न्यायालय ने माना कि अब किसी अतिरिक्त दिशा-निर्देश की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही, पुष्पा नेगी की याचिका का निपटारा कर दिया गया। न्यायालय का यह निर्णय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता के महत्व को उजागर करता है.