एयर इंडिया ने बोइंग विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच की जांच पूरी की, सुरक्षा निर्देशों का पालन
एयर इंडिया की एहतियाती जांच
एयर इंडिया ने अपनी बोइंग 787 और 737 विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच (FCS) के लॉकिंग मैकेनिज्म की एहतियाती जांच सफलतापूर्वक संपन्न की है। यह कदम पिछले महीने हुए गंभीर विमान हादसे और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जारी सुरक्षा निर्देशों के अनुपालन में उठाया गया।
जांच में कोई खामी नहीं मिली
एयर इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि इन जांचों के दौरान लॉकिंग मैकेनिज्म में कोई भी खामी नहीं पाई गई। उन्होंने यह भी कहा कि एयर इंडिया ने 12 जुलाई को स्वेच्छा से जांच प्रक्रिया शुरू की थी, जो DGCA के निर्देशों के जारी होने से पहले की गई थी, और इसे निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा कर लिया गया है।
सुरक्षा उपायों में सख्ती
यह कदम उस भयानक दुर्घटना के बाद उठाया गया, जिसमें 12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की एक बोइंग 787-8 उड़ान टेकऑफ के तुरंत बाद एक इमारत से टकरा गई थी। इस हादसे में 260 लोगों की जान गई, जिनमें 19 जमीनी लोग भी शामिल थे। विमान में सवार 242 यात्रियों में से केवल एक ही जीवित बच सका। हादसे की जांच अभी भी चल रही है और रिपोर्ट एक साल के भीतर आने की संभावना है।
DGCA के निर्देश
दुर्घटना के बाद, DGCA ने 14 जुलाई को एक सख्त निर्देश जारी किया, जिसमें सभी संबंधित विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग मैकेनिज्म की जांच अनिवार्य कर दी गई थी। एयर इंडिया और उसकी सहयोगी बजट एयरलाइन एयर इंडिया एक्सप्रेस ने इस निर्देश का पालन करते हुए समय सीमा के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी की।
कौन से विमानों में की गई जांच?
एयर इंडिया अपने अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर बोइंग 787 ड्रीमलाइनर का संचालन करती है, जबकि एयर इंडिया एक्सप्रेस घरेलू और क्षेत्रीय मार्गों पर बोइंग 737 विमानों का उपयोग करती है। दोनों प्रकार के विमानों में फ्यूल कंट्रोल स्विच मैकेनिज्म की गहन जांच की गई।
फ्यूल कंट्रोल स्विच का महत्व
जांच का मुख्य केंद्र फ्यूल कंट्रोल स्विच (FCS) था, जो विमानों के इंजन में ईंधन के प्रवाह को नियंत्रित करता है। इसका उपयोग पायलट जमीन पर इंजन को चालू या बंद करने के लिए, या उड़ान के दौरान इंजन फेल होने की स्थिति में मैनुअल शटडाउन या रीस्टार्ट के लिए करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रणाली में किसी भी तकनीकी खामी का परिणाम जानलेवा हो सकता है।