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एयर इंडिया विमान दुर्घटना: ब्लैक बॉक्स की खोज और इसके महत्व

एयर इंडिया के विमान की दुर्घटना के बाद एक ब्लैक बॉक्स की खोज की गई है, जो इस हादसे के कारणों को समझने में मदद करेगा। जानें कि ब्लैक बॉक्स क्या है, यह कैसे काम करता है, और इसके विभिन्न प्रकार के रिकॉर्डिंग उपकरणों के बारे में। इस लेख में हम इसके महत्व और कार्यप्रणाली पर भी चर्चा करेंगे।
 

ब्लैक बॉक्स की खोज

ब्लैक बॉक्स: अधिकारियों ने एयर इंडिया के विमान की दुखद दुर्घटना के बाद एक ब्लैक बॉक्स बरामद किया है, जो 12 जून को हुई थी। इस हादसे में 240 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह ब्लैक बॉक्स विमान के पिछले हिस्से से मिला है और इसे सुरक्षित स्थान पर रखा गया है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय अब इसकी रिकॉर्डिंग का विश्लेषण करने के लिए उपकरण जुटाएगा।


ब्लैक बॉक्स क्या है?

विमान में ब्लैक बॉक्स एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है, जिसे तकनीकी भाषा में फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर कहा जाता है। यह सभी प्रकार के विमानों में मौजूद होता है, चाहे वह सिविल हो, मिलिट्री या हेलीकॉप्टर। इसका मुख्य कार्य उड़ान की जानकारी को रिकॉर्ड करना है। यह लगातार उड़ान से संबंधित डेटा को संचित करता है, इसलिए इसे फ्लाइट रिकॉर्डर भी कहा जाता है।


हालांकि, इसके नाम से यह समझा जाता है कि इसका रंग काला है, लेकिन वास्तव में यह आमतौर पर नारंगी रंग का होता है। इसका रंग इसीलिए नारंगी रखा गया है ताकि दुर्घटना की स्थिति में इसे आसानी से खोजा जा सके। यह स्टील और टाइटेनियम से निर्मित होता है और इसमें कई प्रकार के सिग्नल, बातचीत और तकनीकी डेटा रिकॉर्ड होते हैं। इसमें दो प्रकार के रिकॉर्डर होते हैं: डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (CVR)।


कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (CVR)

कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर पायलट और सहकर्मियों के बीच बातचीत और कॉकपिट में होने वाली अन्य आवाज़ों को रिकॉर्ड करता है। यह एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) के साथ रेडियो पर होने वाली बातचीत को भी कैद करता है, जो पायलट को उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करता है।


डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (DFDR)

DFDR विमान की गति, ऊंचाई, और उड़ान ट्रैक जैसे कई महत्वपूर्ण डेटा को रिकॉर्ड करता है। यह इंजन के ईंधन प्रवाह और थ्रस्ट की जानकारी भी संग्रहीत करता है। इसके अलावा, यह लगभग 90 प्रकार के डेटा को 24 घंटे से अधिक समय तक रिकॉर्ड करता है।


पहले ब्लैक बॉक्स में सीमित मात्रा में डेटा को तारों या फॉइल पर रिकॉर्ड किया जाता था, लेकिन अब इसमें सॉलिड स्टेट मेमोरी चिप्स का उपयोग किया जाता है।


अल्ट्रासाउंड सिग्नल भेजने की क्षमता

ब्लैक बॉक्स का वजन लगभग 4.5 किलोग्राम होता है और यह आमतौर पर स्टील या टाइटेनियम से बना होता है, जो इसे अत्यधिक गर्मी, ठंड और नमी से सुरक्षित रखता है। इसे विमान के पिछले हिस्से में रखा जाता है, क्योंकि वहां दुर्घटना का प्रभाव कम होता है। पानी में खोजने के लिए, ब्लैक बॉक्स में एक उपकरण होता है जो 30 दिनों तक अल्ट्रासाउंड जैसे सिग्नल भेजता है।