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ओडिशा में छात्रावास की छात्राओं की गर्भावस्था ने सुरक्षा पर उठाए सवाल

ओडिशा के कंधमाल जिले में दो सरकारी छात्रावासों में रह रही 10वीं कक्षा की छात्राओं की गर्भावस्था ने शिक्षा संस्थानों में नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला तब सामने आया जब नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान इन छात्राओं की गर्भावस्था का पता चला। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की हैं। इस घटना ने सरकारी छात्रावासों में किशोरियों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं, और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की मांग की है।
 

गर्भवती छात्राओं का मामला

ओडिशा के कंधमाल जिले में दो सरकारी बालिका छात्रावासों में रहने वाली 10वीं कक्षा की छात्राओं के गर्भवती होने की खबर ने शिक्षा संस्थानों में नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं। यह मामला तब उजागर हुआ जब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान इन छात्राओं की गर्भावस्था का पता चला।


जब छात्राएं ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद अपने आवासीय विद्यालयों में लौटीं, तो छात्रावास के कर्मचारियों ने नियमित रूप से वितरित किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन न लेने पर संदेह जताया। पूछताछ के बाद, उन्हें चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजा गया, जिसमें दोनों के गर्भवती होने की पुष्टि हुई। यह जानकारी छात्रावास प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए एक बड़ा झटका साबित हुई।


घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गईं। कोटगढ़ पुलिस स्टेशन में मामला संख्या 103/2025 और बेलघर थाने में केस संख्या 64/2025 के तहत जांच शुरू की गई है। बालीगुडा के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) रामेंद्र प्रसाद ने बताया कि दोनों घटनाओं की गंभीरता से जांच की जा रही है और मामले की तह तक जाने के लिए एक टीम गठित की गई है।


इन घटनाओं ने यह सवाल उठाया है कि क्या सरकारी छात्रावासों में रह रही किशोरियों की सुरक्षा सुनिश्चित है? यह केवल एक चिकित्सा मामला नहीं है, बल्कि यह संभावित यौन शोषण का गंभीर संकेत भी हो सकता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना की निंदा करते हुए छात्रावासों में निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत करने की मांग की है।