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करनाल में युवकों के साथ 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी, रूस भेजने का झांसा

करनाल में दो बेरोजगार युवकों, सुमित और अमित, को रूस में नौकरी दिलाने का झांसा देकर 10 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। आरोपियों ने उन्हें ई वीजा पर भेजा, लेकिन बाद में वर्क वीजा में नहीं बदला। इसके चलते दोनों को रूस की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और 25 दिन जेल में बिताने पड़े। जानें इस मामले की पूरी कहानी और आरोपियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में।
 

धोखाधड़ी का मामला

करनाल: खिराजपुर गांव के दो बेरोजगार युवक, सुमित और अमित, को रूस में नौकरी दिलाने का झांसा देकर तीन लोगों ने 10 लाख रुपये की ठगी की। उन्हें ई वीजा पर रूस भेजा गया, लेकिन बाद में वर्क वीजा में नहीं बदला गया।


इस कारण दोनों को वहां की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया। 25 दिन बाद, अपने खर्च पर वे भारत लौटे। आरोपियों ने पंचायत में वादा किया था कि वे दो दिन में पैसे वापस कर देंगे।


जान से मारने की धमकी

आर्थिक अपराध शाखा की जांच के बाद, सदर थाना पुलिस ने आरोपियों कमल, अमन और रवि के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है। खिराजपुर के निवासी सुभाष और सुनील अपने बच्चों को विदेश भेजना चाहते थे।


सुभाष ने कमल से इस बारे में चर्चा की, जिसने उन्हें बताया कि वह और उसका रिश्तेदार विदेश भेजने का काम करते हैं। कमल ने कहा कि रूस में रोजगार के अच्छे अवसर हैं।


आरोपी ने कहा कि यदि दोनों बच्चों को एक साथ भेजा जाए तो खर्चा कम होगा। इस पर विश्वास करके, सुभाष ने अपने बेटे सुमित और सुनील के बेटे अमित को रूस भेजने का निर्णय लिया।


धोखाधड़ी की प्रक्रिया

आरोपियों ने दोनों को साढ़े 13 लाख रुपये में भेजने का सौदा तय किया। उन्होंने 10 लाख रुपये वीजा आने पर और बाकी रकम नौकरी मिलने के बाद देने का वादा किया। सुनील ने 6.60 लाख का लोन लिया, 1.50 लाख के गहने बेचे और 90 हजार में अपनी मोटरसाइकिल बेच दी।


सुभाष ने भी अपनी जमा पूंजी और रिश्तेदारों से उधार लेकर पैसे जुटाए। आरोपियों ने वीजा आने की बात कहकर 29 जुलाई 2025 को 10 लाख रुपये की राशि देने के लिए कहा। सुभाष ने कमल और रवि को यह राशि दी और सबूत के तौर पर वीडियो बनाई।


जेल में 25 दिन

आरोपियों ने दोनों को ई वीजा पर भेजा था। वहां एक भारतीय ने उन्हें अपने पास रखा। जब पता चला कि वे ई वीजा पर आए हैं, तो उन्हें बताया गया कि यह वीजा कुछ समय के लिए होता है। परिवार ने आरोपियों से संपर्क किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली।


वीजा खत्म होने के बाद, रूस की पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दोनों लगभग 25 दिन जेल में रहे। बाद में, दूसरे एजेंट के माध्यम से, उन्होंने तीन लाख रुपये देकर 10 अक्टूबर 2025 को घर लौटने का प्रबंध किया।


एयरपोर्ट पर कोई नहीं मिला

चार अगस्त 2025 को, दिल्ली एयरपोर्ट से दोनों को रूस भेजा गया। वहां पहुंचने पर, कोई भी उन्हें लेने नहीं आया। दो दिन तक वे एयरपोर्ट पर भूखे-प्यासे रहे। जब परिवार को जानकारी मिली, तो उन्होंने आरोपियों से संपर्क किया।


आरोपियों ने लोकेशन भेजकर वहां जाने को कहा। वहां एक लड़की मिली, जिसने उनसे 20-20 हजार रुपये लेकर एक कमरे में छोड़ दिया। वहां पहले से मौजूद बदमाशों ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया।