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करूर भगदड़ मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन

करूर में विजय की रैली में हुई भगदड़ के मामले में 41 लोगों की जान गई। इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। मद्रास हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग को खारिज कर दिया। विजय ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने का वादा किया है। जानें इस घटना के पीछे की वजह और रैली में हुई लापरवाहियों के बारे में।
 

करूर भगदड़ में 41 लोगों की जान गई


करूर में हुई भगदड़ की जांच के लिए एसआईटी का गठन


चेन्नई के करूर में तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) पार्टी के नेता विजय की रैली में भगदड़ के मामले की जांच अब वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी असरा गर्ग के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा की जाएगी। यह निर्णय मद्रास हाईकोर्ट के एकल न्यायाधीश द्वारा लिया गया, जिन्होंने टीवीके के पदाधिकारियों को भी फटकार लगाई।


इसके साथ ही, न्यायालय ने इस घटना की सीबीआई जांच की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिसे भाजपा नेता उमा आनंदन ने 27 सितंबर को दायर किया था। उल्लेखनीय है कि इसी दिन विजय की जनसभा में भगदड़ मच गई थी।


विजय की जनसभा में उनकी देरी के कारण भीड़ में असहिष्णुता बढ़ गई, जिससे भगदड़ मच गई। इस घटना में 41 लोगों की जान गई और 60 से अधिक लोग घायल हुए। मृतकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।


विजय ने मुआवजे की घोषणा की

घटना के बाद विजय ने तुरंत रैली स्थल से निकलने का निर्णय लिया। हालांकि, अगले दिन उन्होंने एक भावुक घोषणा की, जिसमें उन्होंने मृतकों के परिवारों को 20 लाख रुपये और घायलों को 2 लाख रुपये की सहायता देने का वादा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह राशि किसी भी परिवार के दर्द को कम नहीं कर सकती।


विजय ने कहा, "आपके नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकती। यह एक अपूर्णीय क्षति है। इस कठिन समय में आपके साथ खड़ा होना और आपका दुख साझा करना मेरा कर्तव्य है।"


रैली में लापरवाही का खुलासा

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रैली में आने वाले लोगों की संख्या की अनुमति से कहीं अधिक लोग एकत्रित हो गए थे। विजय की रैली में देरी भी भीड़ के बढ़ने का एक प्रमुख कारण था।


भीड़ और स्थान की कमी के कारण भगदड़ मच गई, जिससे 41 लोगों की जान गई और 50 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए।